विधानसभा भर्ती घोटाला: रितु ने रद्द की विधानसभा में हुई 250 अवैध भर्तियां, विधानसभा सचिव सस्पेंड

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DEHRADUN: विधानसभा भर्ती घोटाले की जांच के लिए बनी एक्सपर्ट कमेटी ने स्पीकर रितु खंडूड़ी को रिपोर्ट सौंपी। स्पीकर ने रिपोर्ट पर त्वरित फैसला लेते हुए पूर्व स्पीकरों गोविंद कुंजवाल औऱ प्रेमचंद अग्रवाल के समय हुई बैकडोर भर्तियों को रद्द कर दिया है। (Speaker ritu Khanduri cancels backdoor recruitment in vidhansabha from 2016 to 2021)  इसके अलावा संदिग्ध भूमिका में रहे विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया है।

विधानसभा में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए स्पीकर रितु खंडूड़ी ने बताया कि दोनों पूर्व स्पीकरों ने नियुक्तियों में पारदर्शिता नहीं बरती। ये नियुक्तियां बैकडोर से नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई। उनके लिए ना तो विज्ञापन निकाला गया, ना रोजगार कार्यालय से कोई आवेदन मंगाए गए। इन भर्तियों से संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन हुआ है। मूल रिपोर्ट 29 पेज की है जबकि सभी अटैचमेंट के साथ यह रिपोर्ट 2014 पेज की है।

समिति की सिफारिशों के आधार पर विधानसभा सचिवालय में हुई 2016 में की गई 150 नियुक्तियों, वर्ष 2020 की 6 नियुक्तियों को व 2021 की 72 नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा उपनल के माध्यम से की गई 22 नियुक्तियों को भी रद्द किया गया है। कुल मिलाकर 250 नियुक्तियों को रद्द किया गया है। इसके अलावा विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया गया है। आरएमएस टेक्नो सोलुशन कंपनी को दिए गए 56 लाख के भुगतान पर सचिव की भूमिका संदिग्ध है।

विधानसभा भर्ती प्रकरण के संबंध में जांच रिपोर्ट समिति ने गुरुवार देर रात्रि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी भूषण को सौंपा था। नियुक्तियों में अनिमितता के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने बड़ा कदम उठाया है। विधानसभा अध्यक्ष के मुताबिक, देहरादून और गैरसैण विधानसभा के लिए पदों का पुनर्गठन होगा। विधानसभा में 2011 से पूर्व भर्ती हुए कर्मचारी नियमित हो चुके हैं, इन पर विधानसभा अध्यक्ष विधिक राय लेगी। उसके बाद ही कोई निर्णय होगा। जिन पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उस विज्ञप्ति को भी निरस्त किया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों से संबंधित मामला उनके सामने आया, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच करने का अनुरोध किया। बकौल धामी, मैंने स्पीकर से कहा था कि जांच में यदि नियुक्तियां गलत हैं तो उन्हें निरस्त किया जाना चाहिए।

 

 

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