एक्सपायरी डेट फंगीसाइड मामला: किसानों को लूटने वालों पर सख्त कार्रवाई हो, सिर्फ जांच कमेटी से लीपापोती न हो
DEHRADUN: अल्मोड़ा के किसानों को एक्सपायरी डेट का कवकनाशक दोगुने दामों पर बेचने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने इस मामले का खुलासा किया था, जिसके बाद देवभूमि डायलॉग ने प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया था। देवभूमि डायलॉग की खबर का असर होता दिख रहा है। कृषि विभाग ने एक्सपायरी डेट का कवकनाशक बनान वाली कंपनी के खिलाफ जांच बिठा दी है और इसके इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
बता दें कि अल्मोड़ा के जिले के भिकियासैंण ब्लॉक में कई गांवों में किसानों को निमला ऑर्गैनिक्स प्राइवॉट लिमिटेड कंपनी का कवकनाशक बांटा गया था। वज्र शक्ति नाम के इस कवक नाशक के 100 ग्राम पैक के लिए लिए किसानों से 85 रुपए लिए गए। लेकिन जब दीपक करगेती ने इस मामले को पकड़ा तो बडा खेल सामने आया। दरअसल कवकनाशक की पैकिंग पर 2025 की एस्पायरी डेट वाली लेबलिंग की गई थी। इसके नीचे खुरचकर देखा को इस पैकेट की एक्सपायरी डेट 2019 में खत्म हो चुकी थी। यही नहीं, इस पर एमआरपी 45 रुपए था, लेकिन किसानों को इसे दोगुने दामों पर बेचा गया।
और गड़बड़झाले का ये मामला सिर्फ भिकियासैंण के कुछ गांवों में पकड़ में आया। अल्मोड़ा के सभी 95 पंचायतों में इसे वितरित किया गया था। इसके अलावा न जाने प्रदेश के कितने किसानों को ऐसा ही एक्सपायरी डेट प्रोडक्ट दोगुने दामों पर बेचा गया। इससे न सिर्फ खेती को नुकसान पहुंचा बल्कि किसानों की जेब पर भी डाका डाला गया। अफसरों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा स्कैम संभव नहीं है। जाहिर तौर पर मुनाफे के पैसा कई लोगों में बंटा होगा।
देवभूमि डायलॉग ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की बात कही थी। हालांकि मामले प्रकाश में आने के बाद अब कृषि विभाग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया है। कृषि निदेशक की ओर से कुमाऊं मंडल कृषि निदेशक को जांच सौंपी गई और एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी गई है। विभाग ने उक्त कवकनाशक के उपयोग औऱ वितरण परतत्काल पाबंदी लगा दी है।
देवभूमि डायलॉग ये मांग करता है कि ये मामला जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं। इसकी तह तक जाकर जांच करनी होगी। कंपनी से खरीद बंद करके आप इतिश्री नहीं कर सकते। वैसे भी इसी कंपनी का वज्रशक्ति 100 ग्राम प्रोडक्ट की GeM पर कीमत 250 रुपए है तो विभाग को 45 रुपए में कैसे मिल गया। क्या इसके लिए गुणवत्ता से समझौता किया गया?