#बेरोजगारी आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की फौज खड़ी है। बेरोजगारी के आंकड़ों के सामने सरकार के रोजगार देने के दावे बहुत छोटे साबित हो रहे हैं। इसी पर देखिए #DevbhoomiDialogue की खास फैक्ट बेस्ड रिपोर्ट, वादे नहीं रोजगार दो साहब..।
उत्तराखंड के सेवायोजन दफ्तरों में बेरोजगारों की भीड़ है। 2017 तक 8,98,043 बेरोजगार पंजीकृत थे। 2018-19 में 1,44,919 , 2019-20 में 1,27,608 2020-21 में 1,92,569 2021-22 में अगस्त तक 7708 बेरोजगारों ने सेवायोजन दफ्तरों में पंजीकरण कराया। जबकि सेवायोजन कार्यालयों की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो वर्ष 2018-19 में 5678 रोजगार, 2019-20में 2709 रोजगार और 2020-21 में मात्र 1873 रोजगार दिए गए। यानी तीन साल में 4.72 लाख बेरोजगारों ने सेवायोजन दफ्तरों में पंजीकरण कराया, लेकिन सिर्फ 10 हजार युवाओं को ही नौकरी मिल सकी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान यानी एनएसओ के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2020 में अप्रैल से जून की तिमाही में बेरोजगारी की दर 26.8% थी जो जुलाई से सितंबर की तिमाही में घटकर 10.9 फीसद रह गई। पता नहीं सरकार ने इतना चमत्कार कैसे किया। हालांकि अक्टूबर से दिसंबर 2020 में बेरोजगारी की दर फिर से बढ़कर 11.6% हो गई है। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 15 से 29 वर्ष आयुवर्ग के27.1% युवा बेरोजगार हैं।
कोरोना काल में स्वरोजगार योजनाओं के जरिए बडी़ युवा आबादी को रोजगार से जोड़ने का अच्छा मौका सरकारों के पास था। लेकिन ये मौका बी हमने गंवा दिया । कोरोना काल में करीब 4 लाख युवा उत्तराखंड लौटे थे। जिनमें से 25 हजार ने श्रम विभाग में पंजीकरण भी कराया था। लेकिन रोजगार का अभाव औऱ स्वरोजगार योजनाओं की जटिलताओं से युवा यहां नहीं टिक सके और रोजगार के लिए फिर से शहरों में पलायन कर गए। पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड से 50 % लोगों ने रोजगार के लिए पलायन किया है।
हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड में सरकारी नौकरी के अवसर बेहद सीमित हैं। सरकार को कर्मचारियों के वेतन भत्ते निकालने में ही 16 हजार करोड़ की चपत लग जाती है। लिहाजा सरकारों को भी अन्य दिशा में सोचने की जरूरत है। मसलन कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाएं, जंगली जानवरों से खेती को बचाएं, जिससे युवा खेती से जुड़ें। अधिक से अधिक युवाओं को पर्यटन से जोड़ें, सर्विस सेक्टर पर फोकस करें, स्वरोजगार योजनाओं को आसान बनाएं, जिससे युवाओं को ऋण लेने में आसानी हो।प्राइवेट नौकरियों में उत्तराखंडियों को प्राथमिकता देने का प्रावधान हो, जिससे राज्य की युवा आबादी को प्रदेश में ही रोजगार के अवसर मुहैया हो सकें।
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