
बाबा बौखनाग की प्राण प्रतिष्ठा के साथ 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा टनल हुई आर पार, 17 दिन तक फंसे से थे 41 श्रमिक
UTTARKASHI: यमुनोत्री हाइवे पर बहुचर्चित सिलक्यारा टनल आर पार होगई है। टनल की ब्रेक थ्रू सेरेमनी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। टनल के प्रवेश द्वार पर स्थापित बाबा बौखनाग के मंदिर में बाबा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। 4.53 किलोमीटर लंबी इस सुरंग के बन जाने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की 26 किमी दूरी कम हो जाएगी।
बता दें कि 2023 में दीवापली के मौके पर सिलक्यारा टनल में लैंडस्लाइड होने से टनल का एग्जिट प्वाइंट बंद हो गया था जिससे यहां 41 श्रमिक 17 दिनो तक फंसे रहे थे। 17 दिनो तक यहां देश औऱ दुनिया का बेहद जटिल और विस्तृत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था जिसके बाद सकक्षी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाला गया था। यहां पहले बाबा बौखनाग का मंदिर हुआ करता था, लेकिन टनल निर्माण के लिए मंदिर को हटा दिया गया था, जिसके बाद अचानक से ये हादसा हो गया था। रेस्क्यू मिशन में जब बार बार अड़चनें आ रही थी तो दुनिया के मशहूर टनल वैज्ञानिक अर्नोल्ड डिक्स भी बाबा बौखनाग की शरण में गए थे। बाबा की कृपा से रेस्क्यू सकुशल हुआ था। तब से सिलक्यारा टनल दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गई थी।
सिलक्यारा सुरंग चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना है। लगभग 853 करोड़ लागत की डबल लेन की इस सुरंग परियोजना की लंबाई 4.531 किलोमीटर है। सुरंग निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और समय की बचत होगी। इस परियोजना के पूर्ण होने से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने सिलक्यारा टनल ब्रेकथ्रू के अवसर पर परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर न केवल उन्नत इंजीनियरिंग की सफलता का प्रतीक है, बल्कि आस्था और समर्पण की शक्ति का जीवंत उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि सिलक्यारा टनल अभियान दुनिया का सबसे जटिल और लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन था। इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की। यह घटना तकनीकी और मानवीय संकल्प की वास्तविक परीक्षा थी, सभी ने एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने समस्त रेस्क्यू टीम, रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सहयोगी संस्थाओं का भी इस अभियान को सफल बनाने में आभार व्यक्त किया।
बाबा बौखनाग की प्राण प्रतिष्ठा
टनल के मुहाने पर बाबा बौखनाग का मंदिर स्थापित किया गया है, जहां मुख्यमंत्री धाम की मौजूदगी में बाबा बौखनाग की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग से प्रदेश की खुशहाली और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि जब सुरंग के मुख पर बाबा बौखनाग को विराजमान किया, तभी फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सका। उस समय उन्होंने बाबा बौखनाग का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। आज मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने से संकल्प भी पूरा हुआ है और श्रद्धालु भी बाबा बौखनाग का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि टनल निर्माण के दौरान 12 नवम्बर को अचानक हुए भूस्खलन में 41 श्रमिक इस सुरंग में फँस गए थे। उस समय देशभर से लोग इन श्रमिकों की कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। उस अँधेरी सुरंग में, जहाँ उम्मीद की किरणें भी धूमिल हो रही थी, बाबा बौखनाग ने पहाड़ों के रक्षक के रूप में शक्ति और विश्वास का संचार किया।
मुख्यमंत्री घोषणा
- सिलक्यारा टनल का नाम बाबा बौखनाग के नाम पर किये जाने की कार्यवाही की जायेगी।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गेंवला-ब्रह्मखाल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया जायेगा।
- बौखनाग टिब्बा को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा।
- स्यालना के निकट हेलीपैड का निर्माण किया जायेगा।