लव जेहाद के बवंडर के बीच गायब बेटियों का सच हाशिए पर क्यों?

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By: Ramesh Bhatt

 

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ….ये नारा बोलने में तो खूब लगता है। लेकिन उत्तराखंड में बेटियों पर चौतरफा आफत है। ये हम सबके लिए सोचने वाली बात है कि बेटियों को बचाने में हम कहां खड़े हैं।

देवभूमि में लव जेहाद के फैलते जाल से दर्जनों बेटियों पर संकट है। लेकिन उससे भी बड़ा संकट है, बच्चों का गुम हो जाना या बच्चों की तस्करी होना।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े हर उत्तराखंडी के लिए आंखें खोलने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में उत्तराखंड से मानव तस्करी के 16 मामले दर्ज हुए हैं जिनमें 22 लोगों की तस्करी हुई है।

इतना ही नहीं, एसीआरबी ये भी कहता है कि साल 2021 में प्रदेश से 400 लड़कियां गायब हुई, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। आज की बात करें तो तो उत्तराखंड के 537 बच्चियों समेत 987 बच्चों का कुछ अता पता नहीं है।

ये आंकड़े हमारी कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। लचर कानून व्यवस्था के कारण हमारे बच्चे महफूज नहीं हैं।

ये बच्चे कहां गए, कौन इनको ले गया?  वे किस हालत में हैं  इन सवालों का जवाब पुलिस नहीं ढूंढ पाई। क्यों हमारे पहाड़ तस्करी के सॉफ्ट स्पॉट बन रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर बच्चों की तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है।

अंकिता भंडारी की हत्या ने इस प्रदेश के हर नागरिक को झकझोर दिया। अंकिता ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया तो वह मार दी गई, लेकिन न जाने कितनी बच्चियां ऐसे भेड़ियों के चंगुल में हैं। मगर क्या हमने अंकिता केस से कोई सबक लिया है? लव जेहाद के बवंडर के बीच बेटियां हम से सवाल पूछ रही हैं,,,कैसे हमको पढ़ाओगे….कैसे हमको बचाओगे…। सरकार प्रशासन और पुलिस हरकत में आए और खोई बच्चियों को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास करे। ये प्रदेश की बेटियों के भविष्य से जुड़ा सवाल है।

 

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