जोशीमठ भू धंसाव पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, आज से गिराए जाएंगे दो क्षतिग्रस्त होटल
Delhi/Joshimath: जोशीमठ में भू धंसाव से पैदा हुई त्रासदी पर सुप्रीम कोर्ट फिलहालसुनवाई नहीं करेगाष सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अवमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की याचिका को खारिजद कर दिया है। शँकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शीर्ष अदालत से जोशीमठ के मामले पर तत्काल सुनवाई करने और भू धंसाव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले में अर्जेंट सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में सभी मसलों पर तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट आना आवश्यक नहीं है। इस मामले में कार्य करने के लिए और भी लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं। हालांकि कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय की है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि जोशमीठ त्रासदी पर तत्काल सुनवाई की जाए औऱ इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए सरकारों को निर्देशित किया जाए। शंकराचार्य ने प्रभावित लोगों के फौरन पुनर्वास औऱ राहत पहुंचाने के लिए भी सरकारों को निर्देशित करने की अपील कोर्ट से की थी। इस मामले पर कल सुनवाई होनी थी, लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार के लिए सुनवाई टाल दी थी।
दो होटलों को गिराने की कार्रवाई शुरू
भूधंसाव के कारण पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो चुके दो होटलों मलारी इन और माउंट व्यू को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त करने की कार्रवाई आज से शुरू कर दी गई है। प्रशासन द्वारा अनाउंसमेंट कर आसपास के लोगों को हटाया जा रहा है। लोगों से गिराए जाने वाले भवनों से दूर रहने की अपील की जा रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मामले की तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया है। भवनों में दरारों की चौड़ाई बढ़ रही है या नहीं, एसडीआरएफ इसका अध्ययन भी कर रही है। इसके लिए भवनों में आई दरारों को नापकर उनकी चौड़ाई दर्ज की जा रही है। नियमित अंतराल में इन दरारों को फिर से नापा जा रहा है। इससे यह भी पता चल सकेगा कि नगर के किस हिस्से में दरारें तेजी से चौड़ी हो रही हैं और किस हिस्से में इनमें स्थायित्व है।
हॉल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि जनहित में हॉल भवनों को गिराया जाना उचित है। लोगों की सुरक्षा के लिए मैं सरकार के इस कदम के साथ हूं।