सतपाल महाराज ने खोली सरकार के दावों की पोल, बोले NTPC टनल में जारी है ब्लास्टिंग, CM से किया काम रुकवाने का आग्रह

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JOSHIMATH:  जोशीमठ भू धंसाव पर एक तरफ आपदा प्रबंधन विभाग एनटीपीसी की टनल को क्लीन चिट देता दिख रहा है वहीं, धामी सरकार के वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। सतपाल महाराज ने कहा है कि जोशीमठ में एनटीपीसी की टनल में अभी भी ब्लास्टिंग का काम हो रहा है। महाराज ने मुख्यमंत्री धामी से इसे फौरन रुकवाने का अनुरोध किया है।

दरअसल स्थानीय लोग ये मानते आ रहे हैं कि जोशीमठ के नीचे बनी एनटीपीसी की सुरंग में लगातार ब्लास्टिंग से जोशीमठ आज इस हालत में पहुंचा है। टनल निर्माण से दरारों ने विकराल रूप लिया है। लोगों के विरोध के बाद सरकार ने जोशीमठ क्षेत्र में एनटीपीसी के टनल निर्माण समेतं अन्य निर्माण कार्य रुकवाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार के  वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज ने आज इन दावों की पोल खोल दी है।

जोशीमठ का दौरा करने के बाद मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हमने देखा है कि दरारें आ गई हैं। जोशीमठ में जगह जगह भू-धंसाव देख रहा है। मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि NTPC की टनल में अभी भी छोटे ब्लास्ट हो रहे हैं, सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री धामी से बात करके ब्लास्टिंग रुकवाने का आग्रह किया है। सतपाल महाराज ने कहा कि इस त्रासदी के इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है। जैसे ही चीजों का आंकलन होगा उचित मुआवजा दिया जाएगा।

दरारों को लेकर अच्छा संकेत

सचिव आपदा प्रबन्धन रंजीत कुमार सिन्हा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में दरारें नापने के लिए सीबीआरआई ने भवनों में क्रेकोमीटर लगाए थे, जिनसे दरारों की स्थिति का आंकलन किया जा रहा है। क्रेकोमीटर में पिछले तीन दिनों से दरारों की चौड़ाई में बढ़ोतरी नहीं होने के संकेत मिले हैं। यह एक सकारात्मक सकेंत हैं। डॉ. सिन्हा ने बताया कि चमोली जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ में मुस्तैदी से सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। डॉ. सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय जल विज्ञान (एनआईएच) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना के टनल का पानी अलग-अलग है। हालांकि अन्य केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट एवं एनआईएच की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पायेगी। जिला प्रशासन विस्थापितों से विचार-विमर्श भी कर रहा है। सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज 150 एल.पी.एम है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 615 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 849 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01,  सिंहधार में 02,  मनोहरबाग में 05,  सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 259 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं।  विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 867 है।

 

 

 

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