ताकि न हों हिंसक घटनाएं, उत्तराखंड सरकार 3 महीने बढ़ाई इस खतरनाक कानून की अवधि

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डायलॉग डेस्क: उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में चुनाव की आहट  से उपद्रव व दंगे जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने अतिरिक्त सतर्कता बरती है। सरकार ने राज्य में हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर पूरे प्रदेश में आगामी तीन माह के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका को बढ़ा दिया है।

शासन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक पूरे राज्य में पिछले दिनों उपद्रवी घटनाओं को देखते हुए रासुका की अवधि तीन महीने बढ़ाने का फैसला किया गया है। यानी जो व्यक्ति या समूह माहौल खराब करने और हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा उस पर जिलाधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की कार्रवाई कर सकते हैं। गत चार जून को उन्हें ये अधिकार दिए गए थे। अब इस अधिकार का प्रयोग वे 31 दिसंबर 2021 तक कर सकते हैं।

रासुका आखिर क्या है

रासुका का पूरान नाम राष्ट्रीय सुरक्षा कानून है। यह कानून 23 सितम्बर 1980 को अस्तित्व में आया था।

सरकार को अगर ऐसा लगे की कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था में रोड़ा अटका रहा है तो हुए इस कानून के तहत हिरासत में लिया जा सकता है। इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

यह कानून केन्द्र और राज्य की सरकारों को अतिरिक्त बल प्रदान करने वाला है।

रासुका के तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है, जो राष्ट्र या राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका हो।

रासुका के तहत किसी को भी बिना आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है।

भारत की सुरक्षा को खतरा, सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करना, पुलिस पर हमला करने वाले पर रासुका लग सकती है।

रासुका के तहत संबंधित अधिकारी संदिग्ध व्यक्ति को बिना कारण बताये अधिकतम 10 दिनों तक हिरासत में रख सकता है उसके बाद सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है।

रासुका के तहत गिरफ्तार व्यक्ति सरकार द्वारा गठित समिति के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन मुकदमे के दौरान वकील की सहायता नहीं ले सकता।

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