एडवोकेट विकेश नेगी को कमिश्नर कोर्ट से बड़ी राहत, जिला बदर करने का आदेश हुआ रद्द

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DEHRADUN:  देहरादून और आसपास के क्षेत्र में कई जमीन फर्जीवाड़ों का खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता विकेश नेगी के छह महीने तक जिला बदर करन संबंधी आदेश को गढञवाल कमिश्नर की कोर्ट ने रद्द कर दिया है। 25 जुलाई को देहरादून डीएम ने विकेश नेगी पर गुंडा एक्ट लगाकर जिला बदर करने का आदेश दिया था।

शनिवार को गढ़वाल कमिश्नर कोर्ट में विकेश नेगी के वकील जीसी शर्मा,अनु पंत व एस के सुन्द्रियाल ने जिला बदर की प्रशासन की कार्रवाई का तर्कसंगत विरोध किया था। सभी दलीलें सुनने के बाद कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने अधिवक्ता विकेश के जिला बदर की कार्रवाई को निरस्त कर दिया गया।

बता दें कि विकेश नेगी देहरादून में कई जमीन घोटालों की पोल खोल चुके हैं। विकेश नेगी ने सैन्यधाम निर्माण में गड़बड़ी का मसला उठाया था। इस दौरान विकेश नेगी पर कई मुकदमे दर्ज कराए गए। लेकिन जिला बदर करने के आदेश पर विभिन्न राजनीतिक दलों व संगठनों ने विरोध किया था।

कमिश्नर के आदेश में कहा गया है कि अपीलार्थी के विरुद्ध अवर न्यायालय का निर्णय पत्रावली पर साक्ष्य एवं तथ्यों के विपरीत है। अवर न्यायालय ने तथ्यों की विवेचना सही से नहीं की। अपीलार्थी के विरूद्ध जो भी एफ.आई.आर. दर्ज दिखायी गयी है वह एक ही समुदाय द्वारा एवं अनुसूचित जाति के व्यक्ति की जमीन से सम्बन्धित है तथा अपीलार्थी उक्त विनोद कुमार, हरिजन का, अधिवक्ता है। अपीलार्थी एक आर.टी.आई एक्टिविस्ट है तथा अपीलार्थी ने राज्य को उसकी हड़पी गयी जमीन के बावत अन्य जनहित में याचिकायें उच्च न्यायालय में दायर की जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज मिलीभगत से हुई। ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है कि अपीलार्थी ने ‘किसी भी व्यक्ति को रिपोर्ट लिखवाने अथवा गवाही देने से रोका हो। अपीलार्थी एक्ट धारा 2 (बी) में गुन्डा शब्द की परिभाषा में नहीं आता है।

आदेश में कहा गया है कि गुंडा एक्ट लगाने के संबंध में Material साक्ष्य अवर न्यायालय की पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है और न ही इस न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष प्रस्तुत कर पाया है। मात्र बीट रिपोर्ट के आधार पर अपीलार्थी को गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत जनपद से निष्कासन किया जाना उचित नहीं है। इस प्रकार स्पष्ट है किसी भी पंजीकृत अपराध में अपीलार्थी को किसी सक्षम न्यायालय द्वारा सिद्धदोष नही किया गया है, जिसके कारण गुण्डा नियंत्रण अधिनियम की धारा धारा 2 (ख) से अपीलार्थी आच्छादित नही होता है। ऐसी स्थिति में अपील बलयुक्त होने के कारण स्वीकारणीय है। कमिश्नर कोर्ट ने विकेश नेगी के खिलाफ 23 जुलाई का अवर न्यायालय का आलोच्य आदेश निरस्त कर दिया।

 

 

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