मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन पहले एक उत्साही बात कही है। उन्होंने कहा कि 2025 तक उत्तराखंड को देश का नंबर एक राज्य बनाना चाहते हैं। इसका जवाब एक लाइन में चाहते हैं तो उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनना होगा, यानी अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। आइये सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं।
उत्तराखंड को सबसे ज्यादा ध्यान अपनी विकास दर को बढ़ाने में लगाना होगा। ऐसा नहीं कि ये नामुमकिन है, 2009-10 में हमने 18 प्रतिशत विकास दर हासिल की थी, जो 2020-21 में 4.5 प्रतिशत रह गई
इस विकास दर का फायदा सभी जिलों को मिलना चाहिए। सही मायने में नंबर वन तभी बन पाएंगे जब प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी के मानकों पर पहाड़ी और मैदानी जिलों में खाई पाटी जाएगी। पहाड़ी जिले आज भी इस विकास यात्रा से कोसों दूर हैं।
आज के दिन सरकार के सामने सबसे बडी चुनौती रोजगार की है। उत्तराखंड में बेरोजगारों की लंबी चौड़ी फौज खड़ी है। उनको रोजगार से जोड़ना बड़ी चुनौती है
एनएसओ के मुताबिक 11.26 फीसदी बेरोजगारी है।यानी करीब 10 लाख युवा बेरोजगार हैं। शहरी आबादी में 27 फीसदी शहरी युवा बेरोजगार हैं।
वर्तमान में बड़ी आबादी खेती से जुड़ी है। करीब 60 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भऱ है। केवल खेती से इतनी बड़ी आबादी का भला नही हो सकता, ऐसे में इसे और क्षेत्रों में शिफ्ट करना होगा। इसमें सर्विस सेक्टर सबसे निर्णायक साबित हो सकता है। सर्विस सेक्टर में भी पर्यटन औऱ आईटी सेक्टर बड़े बदलाव ला सकते हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च के मुताबिक अगर हम 10 लाख रुपए इन्वेस्ट करते हैं तो मैनिफैक्चरिंग सेक्टर में 18 रोजगार पैदा होते हैं। कृषि क्षेत्र में इतनी ही पूंजी से 48 रोजगार मिल सकते हैं। लेकिन इतनी ही रकम टूरिज्म पर खर्च करें तो 78 रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
आज के दिन में उत्तराखंड पूरी तरह केंद्र पर निर्भऱ है। 58 हजार करोड़ के बजट में हमारे स्रोतों से आय केवल 15000 करोड़ के आसपास है। जाहिर है आय़ के नए स्रोत तलाशे बिना हम नंबर वन नहीं बन सकते।
शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को आम आदमी तक पहुंचाना होगा। यानी हर गांव सड़क, हर घऱ तक पीने का पानी, हर घऱ तक बिजली के विजन को साकार करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ चुनौतियां हैं। हमारी साक्षरता दर 78.82 प्रतिशत है, लेकिन क्वालिफाइड टीचर्स की कमी है। ड्रॉपआउट रेश्यो भी चुनौती है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टरों की कमी दूर करना बडी चुनौती रहेगी। मातृ मृत्युदर, और शिशु मृत्युदर को कम करना भी आसान नहीं रहेगा।
आज भी उत्तराखंड की 11.26 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।
8.8 प्रतिशत लोगों के पास अपना घर नहीं। प्रदेश में 46 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक, हैं ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। अभी भी 42.60 फीसदी लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। हालांकि हर घर नल से जल योजना से इसमें बडा सुधार हो सकता है।
यानी उत्तराखंड को 2025 तक नंबर वन राज्य बनाना है तो मुख्यमंत्री धामी को पीएम मोदी की इस बात पर खरा उतरना होगा- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास प्रयास।
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