उत्तराखंड में भारतीय सेना का सूर्य देवभूमि चैलेंज, 11 हजार फीट ऊंचाई पर पथरीले रास्तों से 110 कि.मी. साइकिल यात्रा

Share this news

UTTARKASHI:  वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों तक संपर्क करने के मकसद से भारतीय सेना ने उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर सूर्य देवभूमि चैलेंज शुरू किया है। शुक्रवार को नेलांग वैली से इसका शुभारंभ हुआ है। दूसरे दिन सेना के जवान बूढ़ा केदार पहुंचेंगे। चैलेंज के आखिरी दिन जवानों का काफिला ट्रेल रनिंग के माध्यम से त्रिजुगीनारायण पहुंचेंगे जहां कार्यक्रम का समापन होगा।

दरअसल सूर्य देवभूमि अभियान एक हाई एल्टीट्यूड ट्रायथलॉन है। इसका मकसद सीमांत क्षेत्रों में साहसिक खेलों, इको-टूरिज्म और विकास को बढ़ावा देना है। इस अभियान में भारतीय सेना की आईबैक्स ब्रिगेड और उत्तराखंड सरकार मिलकर कार्य कर रहे हैं।

Surya Devbhoomi Challenge

कार्यक्रम की शुरुआत पर पहले दिन भटवाड़ी पहुंचने पर सेना के बैंड की ओर से गढ़वाली गीतों पर विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं। समुद्रतल से करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर साइकिल रैली में शामिल जवान और आम स्थानीय प्रतियोगियों ने टेढ़े मेढ़े पथरीले रास्तों पर करीब 110 किमी साइकिल से सवारी कर रिवर्स पलायन और पर्यटन को लेकर संदेश दिया। चीन सीमा से सटी नेलांग घाटी से शुरुआत करते हुए साइकिल से सभी जवान गंगोत्री, हर्षिल, गंगनानी होते हुए भटवाड़ी पहुंचे। जहां स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जवानों ने सीमांत क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत ग्रामीणों से वार्ता कर स्वरोजगार और पर्यटन के विषयों पर चर्चा की।

इस अवसर पर सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमाडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा ने साइकिल रेस को हरी झंडी दिखाई। लेफ्टिनेंट जनरल मिश्रा ने कहा कि यह चैलेंज पहली बार आयोजित किया जा रहा है, यह सफल रहता है तो सेना इसे नियमित रूप से साहसिक खेलों के साथ सीमांत क्षेत्र के विकास के लिए आयोजित करेगी। उन्होंने तीन दिवसीय इस आयोजन में पहले दिन जहां प्रतिभागी नेलांग से भटवाड़ी तक 110 किमी की साइकिल रेस पूरा करेंगे। दूसरे दिन 19 अप्रैल की सुबह भटवाड़ी के मल्ला के पास से बूढ़ाकेदार तक 37 किमी की ट्रेल रनिंग करेंगे। वहीं, तीसरे व अंतिम दिन घुत्तू से त्रियुगीनारायण तक 32 किमी की ट्रेल रनिंग व सोनप्रयाग तक आठ किमी की रोड रनिंग की जाएगी।

उन्होंने कहा कि ट्रेल रनिंग के अंतर्गत दुनिया के सबसे ऊंचाई व अतिदुर्गम क्षेत्र से ट्रेल रनिंग के चलते यह चैलेंज पूरा होने पर इसमें होने वाली ट्रेल रनिंग के लिम्का बुक आफ रिकार्डस या गिनीज बुक आफ रिकार्डस में भी जगह बनाने की उम्मीद है। इस चैलेंज में सेना के साथ आम नागरिक भी प्रतिभाग कर रहे हैं, जिनकी संख्या 140 से अधिक है।

 

 

 

 

(Visited 74 times, 1 visits today)

You Might Be Interested In