नम आंखों के साथ शहीद संजय बिष्ट को दी गई विदाई, सैन्य सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

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NAINITAL: जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों से लोहा लेते शहीद हुए देवभूमि उत्तराखंड के लाल 28 साल के संजय बिष्ट का पार्थिक शरीर शुक्रवार को उनके पैतृक गांव लाया गया। हजारों लोगों की मौजूदगी में नम आंखों से संजय बिष्ट को आखिरी विदाई दी गई। इस दौरान पूरा क्षेत्र शहीद संजय के जयकारों से गूंज उठा।

संजय बिष्ट का पार्थिव शरीर दोपहर करीब ढाई बजे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल पहुंचा। जहां उनके पार्थिव शरीर को नैनीताल एसडीएम प्रमोद कुमार, रानीखेत केआरसी के ब्रिगेडियर गौरव बग्गा, केआरसी रानीखेत के कर्नल राजेश रद्द, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के प्रधानाचार्य ग्रुप कैप्टन विजय डंगवाल ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। यहां से पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव रातीघाट ले जाया गया। शहीद के शव पहुंचते ही लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा संजय तेरा नाम रहेगा और भारत माता की जय के नारों से शहीद को श्रद्धांजलि दी।

बेटो को तिरंगे में लिपटा देखकर संजय की मां और बहन फूट-फूट कर रोने लगे। पूरा गांव गमगीन था। अंतिम दर्शन के बाद गांव के ही श्मशान घाट में शहीद संजय बिष्ट का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया गया। भाई नीरज ने शहीद संजय बिष्ट को मुखाग्नि दी। शहीद संजय बिष्ट की अंतिम विदाई में नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह, बीजेपी विधायक अरविंद पांडेय समेत जिले के तमाम बड़े अधिकारी और नेता मौजूद थे।

बता दें कि बुधवार 22 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में सेना को आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इसके बाद सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान आतंकवादियों ने अपनी जान बचाने के लिए आतंकवादियों पर फायरिंग की, जिसमें भारतीय सेना के दो अधिकारी समेत पांच जवान शहीद हो गए थे, जिसमें से एक उत्तराखंड का संजय बिष्ट भी था, जो भारतीय सेना में लांस नायक के पद पर तैनात थे।

कमांडर ने किया शहीद संजय बिष्ट के शौर्य को नमन, शहादत से 4 दिन पहले कहा था, कुछ बड़ा करूंगा, वीरता का तमगा भी मिला था

 

 

 

 

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