चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला एक बार फिर गरमा गया है। पीएम मोदी की केदार यात्रा से पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को दर्शन करने से रोके जाने के मामले पर डीजीपी को दो शिकायतें मिली हैं, जिनमें दर्शन करने से रोकने वालों पर कार्रवाई की मांग की गई है। ऐसे में ये मामला एक बार फिर सियासी अखाड़े में खूब रंग दिखाने वाला है। उधर आज धामी कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक है। माना जा रहा है कि कैबिनेट में देवस्थानम बोर्ड पर मनोहर कांत ध्यानी कमेटी की रिपोर्ट पर भी चर्चा हो सकती है।
चारधाम देवस्थानम बोर्ड क्यों है जरूरी बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार हरीश मैखुरी। आने वाले समय में करोड़ों श्रद्धालुओं के चारधाम आने की संभावना है, इतनी बड़ी तादात में भक्तों के प्रबंधन औऱ सुविधाओं के विस्तार के लिए कहीं न कहीं एक व्यापक बोर्ड की जरूरत महसूस हो रही है। इस मसले पर सभी पक्षों में व्यापक विचार विमर्श किया जा सकता है, तीर्थपुरोहितों के अन्य सुझावों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है, लेकिन बोर्ड भंग करने की मांग उचित प्रतीत नहीं होती।
कुल मिलाकर देवस्थानम बोर्ड एक सुधारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इस विषय पर चली हठधर्मिता और राजनीतिक पैंतरेबाजी से एक बडा़ सुधार कहीं होते होते न रह जाए।