भू बैकुंठ श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शाम 6.45 पर शीतकाल के लिए बंद हो रहे हैं। विधि-विधान से बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद अगले छह माह तक भगवान बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर और जोशीमठ में संपन्न होगी। शनिवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा का समापन भी हो जाएगा
#DevbhoomiDialogue कपाट बंद होने से पहले आपको बद्रीशपुरी के दिव्य दर्शन करवा रहा है, और साथ ही भगवान बद्री #नारायण की महिमा आपको बता रहा है, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल जी के जरिए।
20 कुंतल फूलों से सजी बद्रीशपुरी
कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ धाम को 20 कुंतल गेंदा, गुलाब और कमल के फूलों से सजाया गया है । धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया आज शाम चार बजे से शुरू हो जाएगी। आज सुबह छह बजे भगवान बदरीनाथ की अभिषेक पूजा की गई। इसके बाद सुबह आठ बजे बाल भोग लगाया गया। शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और गर्भगृह से गरुड़जी, उद्धवजी और कुबेरजी को बदरीश पंचायत से बाहर लाया जाएगा। सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6:45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
बद्रीनाथ धाम की महिमा
नर नारायण पर्वत
विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। उनके तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिव प्रकट हुए थे। दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी। भगवान केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद बद्री क्षेत्र में भगवान नर-नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है। इसी आशय को शिवपुराण के कोटि रुद्र संहिता में भी व्यक्त किया गया है। माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा। भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे। पुराणों अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में वर्तमान बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर धाम लुप्त हो जाएंगे और वर्षों बाद भविष्य में भविष्यबद्री नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा। यह भी मान्यता है कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ साल-दर-साल पतला होता जा रहा है। जिस दिन यह हाथ लुप्त हो जाएगा उस दिन ब्रद्री और केदारनाथ तीर्थ स्थल भी लुप्त होना प्रारंभ हो जाएंगे।
6 माह नर, 6 माह देवता करते हैं पूजा
ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ में शीतकाल में भी देवताओं द्वारा पूजा की जाती है। पुराणों में लिखा है कि बद्रीनाथ में 6 माह मनुष्य पूजा करेंगे और 6 माह देवता पूजा करेंगे मान्यता है कि शीतकाल में रावल जी की जगह नारद जी धाम के मुख्य पुजारी होते हैं। नारद जी प्रतिदिन मां लक्ष्मी और बद्रीनाथ जी की पूजा अर्चना करते हैं।
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Uniyal Bhuwan Chandra – धर्माधिकारी , श्री बदरीनाथ धाम
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