कहीं इंद्रदेव मेहरबान, तो कहीं जंगलों की आग बुझाने उतरे आईटीबीपी के जवान

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ALMORA: उत्तरकाशी, चमोली में बारिश के बाद जंगलों की आग कुछ हद तक कम हुई है। लेकिन प्रदेश के कई हिस्सों में जंगलों की आग विकराल रूप धारण कर रही है। अल्मोड़ा में आग बुझाने के लिए आईटीबीपी के जवानों को उतरना पड़ा। जवानों ने गावों की तरफ बढञ रही आघ पर समय रहते काबू पा लिया औऱ गावों को जानमाल के नुकसान से बचा लिया।

अल्मोड़ा के जंगल भी आग से धधक रहे हैं। आग पर काबू करने के लिए आईटीबीपी को आगे आना पड़ रहा है। अल्मोड़ा के शीतलाखेत, बिमोला में कई गांव आग की चपेट में आ गए। इसे देखते हुए एमडीएस अल्मोड़ा से आईटीबीपी के जवान गावों की तरफ बढ़े औऱ आग बुझाने में जुट गए। हिमवीरों ने समय रहते आग पर काबू पा लिया और गावों को होने वाली जानमाल की हानि को बचा लिया।

उधर उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में आज बारिश के मिजाज ने जंगलों की आग को कुछ हद तक ठंडा कर दिया। पहाड़ों में अगेल दो तीन दिनों में बारिश की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जिससे आग बुझने की उम्मीद है।

उत्तराखंड में 15 फरवरी से शुरू फायर सीजन में इस बार वनाग्नि की रिकॉर्ड 1713 घटनाएं हुई हैं। जिनमें 2785 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इसमें आरक्षित वन क्षेत्र में 1190 घटनाओं में 1993 हेक्टेयर जंगल जला। वहीं सिविल सोयम व वन पंचायतों के तहत 523 घटनाओं में 793 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ गया। केवल अप्रैल में 1137 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 1352 हेक्टेयर वन क्षेत्र राख हो गया। पिछले साल अप्रैल में 843 घटनाओं में 978 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग से प्रभावित हुआ था।

 

 

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