
पहाड़ के लाल ने पलायन को दी मात, पहली बार सबसे महंगी गुच्छी मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन शुरू
PAURI: स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार के अभाव में खाली होते पहाड़ों में मशरूम की खेती नई उम्मीद जगा रही है। इससे एक कदम आगे बढ़कर पौड़ी जनपद में देश में पहली बार एक क्रांतिकारी प्रयोग हुआ है। पौड़ी के जुनूनी युवा नवीन पटवाल ने देश की सबसे महंगी गुच्छी मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया है।
बता दें कि गुच्छी मशरूम पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके गुणों के कारण बाजार में इसकी कीमत 40 से 50 हजार रुपए किलो होती है। आमतौर पर गुच्छी मशरूम हिमाचल और जम्मू कश्मीर के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है, लेकिन देश में पहली बार पौड़ी के फल्दाकोट गांव में गुच्छी मशरूम के कॉमर्शियल उत्पादन के लिए प्लांट लगाया गया है।
पौड़ी के जुनूनी युवा नवीन पटवाल पिछले एक दशक से मशरूम की खेती में नए नए प्रयोग करते रहे हैं। हिमाचल और जम्मी कश्मीर की गुच्छी मशरूम की तरफ उनका ध्यान गया। जब ये पता लगा कि ये मशरूम कहीं भी कमर्शियली उत्पादित नहीं होती, लेकिन बाजार में इसका बेहद अच्छा दाम मिलता है तो नवीन इस मिशन में जुट गए। पहाड़ की भौगौलिक स्थिति और वातावरण इसके लिए मुफीद दिखता था, लेकिन प्राकृतिक वातावर की बजाए पॉलीहाउस में इसका उत्पादन एक बडी चुनौती था।
तीन साल पहले नवीन ने प्रयोग शुरू किया। दो बार असफलता हाथ लगी। पहली बार स्पॉनिंग स्टेज में प्रोजेक्ट दम तोड़ गया तो दूसरी बार भी ये प्रयोग सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सका। इसके बाद भी नवीन ने हौसला नहीं छोड़ा। ज्याद जानकारी जुटाई औऱ पिछली असफलताओं से सीखते हुए दिसंबर 2024 में गुच्छी मशरूम के स्पॉनिंग शुरू कर दी। महज तीन महीने में उनकी मेहनत रंग लाती दिखी। आज पौड़ी के फल्दाकोट गांव में देश की सबसे महंगी मशरूम की खेती लहलहा रही है। जंगलों में जितनी मशरूम प्राकृतिक रूप से उगती है, उससे कई ज्यादा एक छोटे से पॉलीहाउस में उग गई है।
देवभूमि डायलॉग से बातचीत में नवीन नवीन ने बताया कि गुच्छी मशरूम के कमर्शियल उत्पादन का ट्रायल उत्तराखंड में कई जगहों पर किया जा सकता है। इसके लिए ठंडा मौसम तो चाहिए, लेकिन मौसम ड्राई होना चाहिए। यानी बहुत ज्यादा स्नोफॉल का क्षेत्र भी सही नहीं है। कुल मिलाकर 5 डिग्री से लेकर 15 डिग्री तक का तापमान अगर मेंटेन कर पाए तो गुच्छी आसानी से उग सकती है। लेकिन इसके उत्पादन के लिए ये बेहद जरूरी है कि जमीन पर कभी पेस्टिसाइड या यूरिया का इस्तेमाल न हुआ हो, यानी सौ फीसदी ऑर्गैनिक होना चाहिए। नवीन बताते हैं कि ये पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि देश में पहली बार पॉलीहाउस में गुच्छी मशरूम की सफल क्रॉप हुई है। इससे पहले कुछ जगहों पर ट्रायल हुए लेकिन सफल नहीं हो पाए।
क्या है गुच्छी मशरूम
गुच्छी ममशरूम एक तरह का फंगस है। अन्य मशरूम से अलग ये एक बल्ब की तरह उगता है। आमतौर पर कश्मीर और हिमाचल के जंगलों में ये मशरूम स्वत उगता है। इसके औ,धीय गुणों के कारण बाजार में भारी डिमांड है और 30 हजार से 40 हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। गुच्छी मशरूम मार्च और अप्रैल के महीने में पाए जाते हैं। इस दौरान बिजली गिरती है, बादल गरजते हैं और बरसात भी होती है ।
बेहद फायदेमंद गुच्छी मशरूम
गुच्छी मशरूम कई विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। शरीर को बाहुबली बनाने के लिए यह एक नेचुरल टॉनिक है। इसमें आयरन की भरमार होती है। इसलिए एनीमिया के पेशेंट्स को इसे खाने की सलाह दी जाती है। यह रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करता है। बीमारियों से लड़ने में भी गुच्छी मशरूम सहायक है। इसका सेवन गठिया, थायराइड, बोन हेल्थ व मानसिक तनाव को खत्म करने में सहायक होता है। दिल के रोगों व शरीर की चोट को भी जल्द भरने में यह लाभकारी है।
मोदी मशरूम से मिली पहचान
गुच्छी मशरूम के प्रधानमंत्री मोदी भी दीवाने हैं। बताया जाता है कि यह पीएम नरेंद्र मोदी की पसंदीदा सब्जियों में शामिल है। एक इंटरव्यू में पीएम मोदी भी इसके इसके स्वाद और गुणों के बारे में बता चुके हैं। इन्हें सिर्फ खास मौकों पर खास मेहमानों के लिए बनाया जाता है और सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी इसके दीवाने हैं। यही वजह है कि कश्मीर में मिलने वाला यह मशरूम आज दुनिया के कई बड़े रेस्तरां के मेन्यू में शामिल है। पीएम मोदी के जिक्र करने के बाद गुच्छी मशरूम की डिमांड औऱ भी ज्यादा बढ़ गई है।