मशहूर हास्य कलाकार घन्ना भाई के निधन से कला जगत में शोक की लहर, इंद्रेश अस्पताल में ली आखिरी सांस

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DEHRADUN: पहाड़ की रामलीलाओं के वो मंच सूने हो गए हैं, जहां से उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार का जन्म हुआ था। सभी छोटे बड़े सांस्कृतिक मंच, रंगमंच आज स्तब्ध हैं जो घन्ना भाई के हास्य व्यंगों पर ठहाके लगाया करते थे। उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद गगोडिया उर्फ घन्ना भाई का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने देहरादून के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। बीते दिनों तबीयत खराब होने पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, उनके निधन की खबर से प्रशंसकों और कला जगत में शोक की लहर है।

इंद्रेश अस्पताल के पीआरओ भूपेन्द्र रतूड़ी ने उनके निधन की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक कलाकार घनानंद का कुछ देर पूर्व हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उन्होंने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों की तरफ से उन्हें सीपीआर देने की कोशिश की गई, लेकिन वो रिवाइव नहीं कर पाए।

मशहूर हास्य कलाकार घनानंद गगोड़िया का जन्म साल 1953 में पौड़ी के गगोड़ गांव में हुआ था ।घनानंद की कैंट बोर्ड लैंसडाउन जिला पौड़ी शिक्षा दीक्षा गढ़वाल हुई। उन्होंने साल 1970 में रामलीलाओं में हास्य कलाकार के रूप में सफर शुरू किया। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड की कई फिल्मों में भी काम किया है। जिसमें घरजवैं, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, ब्वारी हो त यनि, घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज प्रमुख हैं।

घनानंद साल 1974 में रेडियो और बाद में दूरदर्शन में भी कई कार्यक्रम किए। यही नहीं उन्होंने राजनीति में भी किस्मत आजमाई और साल 2012 विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पौड़ी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद वो चुनाव में भाजपा के लिए स्टार प्रचारक की भूमिका में उतरते रहे हैं।

घनानंद के निधन पर कला जगत की तमाम हस्तियों, राजनेताओं ने शोक संवेदना प्रकट की है। घनानंद के बेटे प्रशांत गगोड़िया भी गढ़वाली वीडियो एल्बम और फिल्मों में काम करते हैं।

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