अनोखी शादी: बैंड बाजे के साथ आई भगवान की बारात, 21 साल की हर्षिका ने श्रीकृष्ण से रचाई शादी

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HALDWANI:  द्वापर युग में मीरा की कृष्णभक्ति के बारे में सभी ने सुना होगा। लेकिन कलयुग में कुछ ऐसे भी भक्त हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया। हल्द्वानी में एक अनोखा विवाह देखने को मिला जहां 21 साल की दिव्यांग युवती हर्षिता पंत ने श्रीकृष्ण को अपना दूल्हा चुना। मीरा की भक्त हर्षिता ने श्रीकृष्ण से अनन्य प्रेम के चलते विवाह किया।

इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी दिव्यांग हर्षिका को कान्हा की भक्ति की ऐसी धुन लगी कि उन्होंने 8 साल की उम्र से ही श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया। मीराबाई की तरह वह अपने जीवन का हर पल कृष्ण को समर्पित कर चुकी हैं। गुरुवार को हल्द्वानी में बैंड बाजे की धुन और 300 से ज्यादा बरातियों की की मौजूदगी में हर्षिका ने श्रीकृष्ण की मूर्ति से विवाह किया। गुरुवार सुबह साढे़ दस बजे बैंड-बाजे के साथ हर्षिका की बारात आई, वरमाला और फेरे हुए। लोगों ने शादी की दावत भी खाई और हर्षिका को आर्शीवाद दिया।

इस शादी की तैयारियां छह महीने से चल रही थीं । हर्षिका के पिता पूरन चंद्र पंत ने बेटी के विवाह के लिए वृंदावन में निमंत्रण भेजा और वहां से नौ इंच की भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति तीन जुलाई को धूमधाम से उनके घर पहुंची। बुधवार को उनके आवास पर महिला संगीत कार्यक्रम का आयोजन हुआ। पिता पूरन चंद्र ने बताया कि तीन सौ से अधिक लोगों को निमंत्रण भेजा गया। दो पंडितों ने विवाह कराया।

कान्हा के लिए करवाचौथ का व्रत

मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले पूरन चंद्र पंत वर्ष 2020 से हल्द्वानी में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेटी बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्त हैं। जब वह आठ वर्ष की थी तो उसे स्वप्न में कान्हा के दर्शन हुए और उसने यह बात अपनी माता मीनाक्षी पंत के साथ साझा की। तभी से उसका आकर्षण मुरली मनोहर की ओर हुआ। वह जब 10 वर्ष की हुई तो कान्हा के लिए करवाचौथ का व्रत रखना प्रारंभ किया और तब से प्रतिवर्ष व्रत रखती हैं।

हर्षिका की श्रीकृष्ण के प्रति गहरी भक्ति के चलते उसने कान्हा से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की जिसे उसके परिवार ने भी समर्थन दिया। उनके पिता ने बताया कि इस धार्मिक परंपरा को पूरा करने के लिए उन्होंने पुरोहित से सलाह ली और फिर उन्होंने वृंदावन में विवाह आयोजन करने की सलाह दी। हालांकि वहां जाकर आयोजन करना संभव नहीं था, इसलिए परिवार ने 1 जुलाई को प्रेम मंदिर वृंदावन में जाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ धार्मिक अनुष्ठान पूरा किया

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