एवलांच की चपेट में आया त्रिशूल चोटी फतह करने गया नेवी का दल, 5 जवान, 1 पॉर्टर लापता
डायलॉग डेस्क: भारतीय नौसेना के पर्वतारोही दल के 5 जवान भयंकर हिमस्खलन की चपेट में आ गए हैं। शुक्रवार सुबह उत्तराखंड में स्थित माउंट त्रिशूल पर चढ़ाई के लिए गए नौसेना के 5 जवान व एक पॉटर एवलांच की चपेट में आकर लापता हो गए। (5 navy jawan and a Porter missing after heavy avalanche on mount trishul) । नेहरू पर्वतरोहण संस्थान (निम) के साथ साथ आर्मी, एयरफोर्स और एसडीआरएफ के जवान हेलिकॉप्टर के जरिए लापता जवानों की तलाश में जुट गए हैं।
भारतीय नौसेना के मुताबिक 3 सितंबर को यह दल मुंबई से हरी झंडी दिखाकर 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी को फतह करने के लिए रवाना किया गया था। शुक्रवार को सुबह इसमें से 10 सदस्यों की टीम माउंट त्रिशील फतह करने निकली लेकिन इनमें से 5 जवान एलांच की चपेट में आ गए। बाकी के 5 जवान सुरक्षित हैं वहीं बाकि 5 लापता है। लापता जवानों की तलाश में हेलिकॉप्टर के जरिए निम की टीम के साथ साथ आर्मी , एय़रफोर्स, एसडीआरएफ की टीमें भी जुटी हैं।
#IndianNavy mountaineering expedition to Mt Trishul, Uttarakhand caught in an avalanche near the summit today.
All out efforts for Search and Rescue (SAR) being progressed by the ground team and helicopters from #IndianArmy, #IndianAirForce & State Disaster Response Force (1/2).— SpokespersonNavy (@indiannavy) October 1, 2021
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के कर्नल अजय बिष्ट के मुताबिक उन्हें ये सूचना नेवी की एडवेंचर विंग से आज सुबह करीब 11 बजे मिली, जिसमें उन्होंने निम की सर्च एडं रेस्क्यू टीम से मदद मांगी। कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि नौसेना के पर्वतारोहियों का 20 सदस्यीय दल करीब 28 दिन पहले 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गया था। शुक्रवार सुबह दल चोटी के समिट के लिए आगे बढ़ा। इसी दौरान हिमस्खलन हुआ है, जिसकी चपेट में नौसेना के पांच जवान पर्वतारोही और एक पोर्टर आ गए। सूचना के बाद उत्तरकाशी से हेलीकाप्टर के जरिये निम की सर्च एंड रेस्क्यू टीम रवाना हुई।
माउंट त्रिशूल
माउंट त्रिशूल या त्रिशूल चोटी 7,120 मीटर ऊंचाई पर बागेश्वर -चमोली जिले की सीमा पर स्थित है।इस चोटी के आरोहण के लिए चमोली जनपद के जोशीमठ और घाट के लिए पर्वतारोही टीमें जाती हैं। नौसेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए निकली थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।