केदारनाथ उपचुनाव: महिलाओं के दम पर फिर जीती भाजपा, त्रिभुवन ने युवाओं में बनाई पैठ, कांग्रेस को उल्टा पड़ गया मंदिर का मुद्दा

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KEDARNATH: केदारनाथ उपचुनाव में बंपर जीत से भाजपा गदगद है। बंपर जीत इसलिए कि हाल के कुछ चुनावों में यहां हार जीत का अंतर बेहद करीबी रहा है। इस बार आशआ नौटियाल 5099 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रही। 90 हजार मतदाताओं वाली विधानसभा में आशा नौटियाल को 23 हजार से ज्यादा वोट मिले जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

केदारनाथ में उपचुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से प्रचार शुरू कर दिया। केदारनाथ मंदिर में सोना चोरी का मुद्दा। केदारनाथ से शिला दिल्ली ले जाने का मुद्दा। केदारनाथ यात्रा में अव्यवस्थाओं का मुद्दा। केदारनाथ पुनर्निर्माण के नाम पर स्थानीय हर हकूक धारियों से खिलवाड़ का मुद्दा। ये कुछ विषय थे जिन पर कांग्रेस बहेद आक्रामक रही। शुरुआत में लगा कि भाजपा यहां बुरी तरह हार जाएगी। लेकिन कांग्रेस की लगातार आक्रामकता ही उसे ले डूबी। बार बार यही बात दोहराने से जनता को लगा कि ये मुद्दे इतने अहम नहीं हैं। बेरोजगारी, विकास जैसे मुद्दों पर भी कांग्रेस आक्रामक रहती तो शायद नतीजे कुछ और होते। ऐसे में  चुनाव के ऐन वक्त ये मुद्दे उठते तो जनता के दिलोदिमाग पर ज्यादा गहरा असर रहता। हालांकि केदारघाटी के लोगों में इन मुद्दों पर सरकार के प्रति आक्रोश जरूर था, लेकिन कांग्रेस इस आक्रोश को अपने पक्ष में करने में नाकाम रही।

दूसरी तरफ निर्दलीय त्रिभुवन चौहान ने बीजेपी से नाराज वोटरों को जमकर लुभाया। त्रिभुवन चौहान ने छोटे व्यवसाय उजाड़े जाने, बेरोजगारी और मूलभूत सुविधाओं के न होने का मुद्दा जमकर भुनाया। जनता को लगा कि सरकार से नाराजगी का बदला निर्दलीय को वोट देकर चुकाया जा सकता है। इसी वजह से केदारघाटी के बड़े तबके ने त्रिभुवन चौहान के पक्ष में वोट किया। बॉबी पंवार की रैलियों से युवा वर्ग का ज्यादातर वोट त्रिभुवन के पक्ष में गया।

उप चुनाव से पहले चारों तरफ घिरी भाजपा को एक बार लग रहा था कि केदारनाथ का किला हाथ से गया। आशा नौटियाल ने तो आंसू तक बहा लिए थे। लेकिन सीएम धामी का आक्रामक प्रचार, बेहतर संगठन और महिला वोटरों का अटूट होना भाजपा को फा.यदा दे गया। इस बार पुरुषों के मुकाबले 3000 ज्यादा महिलाओं ने वोट किया था। जाहिर तौर पर भाजपा सरकार से महिलाओं की कितनी भी नाराजगी क्यों न हो, बात जब महिला स्वावलंबन की आती है तो महिलाएं दिल खोलकर भाजपा पर भरोसा करती हैं। केदारघाटी की महिलाएं जानती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के आह्वाहन से महिला समूहों के स्थानीय उत्पादों की अच्छी डिमांड है। लिहाजा कहीं न कहीं महिला वोटर भाजपा के पक्ष में मतदान करती आई हैं। महिला मतदाता बहुल सीट पर महिला चेहरे को उतारकर भाजपा ने भावनात्मक रूप से भी महिलाओं के बीच बढ़त बनाई।

केदारनाथ उपचुनाव जीतने में भाजपा की संगठन की मशीनरी एक्टिव रही। बदरीनाथ के नतीजों के बाद जहां कांग्रेस फूले नहीं समा रही थी, वहीं भाजपा अगले चुनाव की तैयारी में जुट गई थी। केदारनाथ उपचुनाव की घोषणा के साथ ही संगठन के लोगों ने वहां डेरा जमा लिया था। हर वोटर तक पहुंच सुनिश्चित की गई। दूसरा तरफ आखिरी दिनों में सीएम धामी ने रोड शो, रैलियां, बाइक रैली के जरिए पूरी ताकत झोंक दी। मंदिर के मुद्दों पर सरकार घिरी थी, लिहाजा सीएम धामी ने आपदा प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की। कई विकास योजनाओं की स्वीकृति दी। रुद्रप्रयाग जिले में कई कार्यक्रम आयोजित करवाए। इससे नाराजगी के बावजूद भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहा।

 

 

 

 

 

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