
केदारनाथ में उड़ते ताबूत बनते उड़नखटोले, क्या हो सकता है बार बार हेली हादसों का कारण?
By: Ramesh Bhatt
DEHRADUN: केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा एक निजी चॉपर हादसे का शिकार हो गया। हादसा इतना भी,ण था कि चॉपर आग से खाक हो चुका है। हादसे में 2 साल की मासूम बच्ची समेत 7 लोगों की दर्दनाक मौत हुई है।
चारधाम यात्रा मार्गों खासतौर से केदारनाथ रूट पर पर हेली सेवाएं मौत का कारण बन रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले एक महीने में उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में 5 बड़े हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं। इनमें 13 लोगों की मौत हो चुकी है। 8 मई से 15 जून के बीच 5 हादसे, दर्जनों ज़िंदगियां खतरे में और कई परिवारों में मातम।
8 मई – सहस्रधारा से यमुनोत्री जा रहा चॉपर गंगनानी में क्रैश, 6 की मौत
12 मई – बद्रीनाथ में चॉपर का रोटर टकराने से क्षतिग्रस्त हुआ
17 मई – केदारनाथ में हेली एम्बुलेंस की क्रैश लैंडिंग
7 जून – गुप्तकाशी में क्रिस्टल एयरवेज का चॉपर टेकऑफ के चंद सेकेंड बाद हाईवे पर क्रैश लैंड किया, पायलट को चोटें आई
15 जून – केदारनाथ से यात्रियों को लेकर लौट रहा चॉपर गौरीकुंड के जंगल में क्रैश, 7 लोगों की दर्दनाक मौत
आइये कारणों को जानते हैं कि आखिर बार बार केदारनाथ में हेली हादसे क्यों हो रहे हैं।
- ज्यादा फ्लाइंग का दबाव
हेलीकॉप्टर पायलटों पर ज्यादा फ्लाइंग का दबाव हो सकता है, जिससे उनकी थकान और तनाव बढ़ रहा है, जो दुर्घटना का कारण बन रहा है ।
- तय मानकों की अनदेखी:
हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों द्वारा तय मानकों की अनदेखी की जा रही है ।जैसे कि रखरखाव और सुरक्षा प्रोटोकॉल
- मौसम का लगातार खराब रहना
केदारनाथ क्षेत्र में मौसम अक्सर खराब रहता है, जो हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। केदारनाथ के विषम मौसम में कई बार एमआई-17 और चिनूक जैसे एडवांस हेलिकॉप्टर भी गच्चा खा जाते हैं, वहां इन सिंगल इंजन उड़नखटोलों की क्या बिसात।
- ज्यादा कमाई का लालच
हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों द्वारा ज्यादा कमाई के लालच में ज़्यादा फ्लाइंग की जा रही है। अक्सर देखा जाता है कि एक टॉपर हेलीपैड पर ठीक से लैंड भी नहीं कर पाता कि चंद सेकेंड्स में उसे दोबारा टेकऑफ करना होता है। जिससे सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी हो रही हैं।
- नए पायलटों को वैली का अनुभव नहीं
नए पायलटों को केदारनाथ क्षेत्र में उड़ान भरने का अनुभव नहीं होता जिसकी वजह से दुर्घटना हो रही हैं।
इन कारणों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों और नियामक एजेंसियों द्वारा सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाए।
1-पायलटों को पर्याप्त प्रशिक्षण और आराम दिया जाए।
2-मौसम की स्थिति का सावधानी से मूल्यांकन किया जाना चाहिए
3- आवश्यक होने पर उड़ानें स्थगित की जानी चाहिए।
बहरहाल जब तक स्ट्रिक्ट कंप्लायंस की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सरकार को तत्काल प्रभाव से हवाई सेवाओं रोक देनी चाहिए। ध्यान रहे हम हेलीकॉप्टर उड़ा रहे है, ओला उबर नहीं।
नोट- पायलटों से बातचीत के बाद ही ये लिखा गया है ।