अदम्य साहस और शौर्य के लिए उत्तराखंड के जाबांज कमांडो को मिला कीर्ति चक्र, राष्ट्रपति ने प्रदान किए सैन्य अलंकरण

Share this news

New Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्र के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले 37 बहादुर सैनिकों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह-2024  में राष्ट्रपति ने 10 कीर्ति चक्र तथा 27 शौर्य चक्र प्रदान किए। 10 में सात कीर्ति चक्र और 27 में सात शौर्य चक्र मरणोपरांत प्रदान किये गए। सैन्यधाम उत्तराखंड के रहने वाले जाबांज कमांडो मेजर दिग्विजय सिंह रावत को भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास, हेड कांस्टेबल राज कुमार यादव, कांस्टेबल बबलू राभा, कांस्टेबल शम्भू राय, सिपाही पवन कुमार, कैप्टन अंशुमन सिंह और हवलदार अब्दुल माजिद को मरणोपरातं कीर्ति चक्र प्रदान किए गए जबकि कांस्टेबल सफीउल्लाह कादरी, मेजर विकास भांग्भू, मेजर मुस्तफा बोहरा, राइफलमैन कुलभूषण मन्ता, हवलदार विवेक सिंह तोमर, राइफलमैन आलोक राव और कैप्टन एमवी प्रंजल को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किए गए।

उत्तराखंड जाबांज पैरा कमांडो मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया जबकि ग्रेनेडियर्स 55वीं बटालियन के मेजर सचिन नेगी, और आर्मर्ड कोर, 44वीं बटालियन के मेजर रविंदर सिंह रावत को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर सचिन और मेजर रविंदर जम्मू कश्मीर में कई आतंक विरोधी अभियानों में शामिल रहे और आतंकियों का सफाया किया।

कमांडो दिग्विजिय ने मणिपुर में किया उग्रवादियों का खात्मा

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के डांग गांव के रहने वाले मेजर दिग्विजय सिंह रावत को भी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अदम्य साहस के लिए ’कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया जाएगा। 21 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) के कमांडो मेजर दिग्विजय ने मणिपुर में उग्रवादियों का सफाया किया था। दरअसल बीते साल 5 जनवरी 2023 को गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण करने पहुंचे थे। एक ऑपरेशन के दौरान उनको सूचना मिली कि घाटी के विद्रोही समूह एक वीआईपी को मणिपुर में निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं। इस सूचना के आधार पर मेजर रावत ने अपने एक सूत्र को सक्रिय किया, जिसने विद्रोही समूहों को भटका दिया। वह सूत्र सफलतापूर्वक विद्रोही समूह को उसी इलाके में ले गया, जहां मेजर दिग्विजय सिंह की टीम उनका इंतजार कर रही थी।  आतंकवादियों ने सैनिकों को देखते ही ऑटोमेटिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन गोलियों की बौछार के बीच भी हार न मानते हुए मेजर रावत ने अपनी टीम को कुशलता से नियंत्रित किया और खुद रेंगते हुए आतंकवादियों के एक कैप्टन को मार गिराया और दूसरे को घायल कर दिया। खुफिया जानकारी के अनुसार, ये दोनों ही असम राइफल्स पर घात लगाकर हमला करने के मास्टरमाइंड थे। इसी तरह, 26 मार्च 2023 को भी एक अन्य ऑपरेशन के दौरान विद्रोही समूहों के घुसपैठ की सूचना मिली। उसमें भी मेजर दिग्विजय ने अपने शौर्य और पराक्रम को दिखाते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

 

 

(Visited 194 times, 1 visits today)

You Might Be Interested In