कसारदेवी मंदिर की अद्भुत शक्ति से NASA भी हैरान, जहां स्वामी विवेकानंद ने किया था ध्यान योग

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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कसारदेवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वालों की मुरादें तुरंत ही पूरी होती हैं। यहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन के साथ ही अद्भुत तरह की अनु‍भूति होती है। अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के (Mystery of Kasardevi Temple where magnetic field found NASA researching on it) आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं।
यह मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था। 1960 के दशक मे यह हिप्पियों के आगमन का प्रमुख केंद्र बना था। उस समय बौद्ध भिक्षु, लामा, चिंतक, बुद्धिजीवी, लेखक आदि यहां आया करते थे। इस जगह को क्रैंक रिज कहा जाता था। यहां बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा इन पहाड़ों की गुफा में साधना कर चुके हैं।

कसारदेवी मंदिर की ‘असीम’ शक्ति से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं। अल्मोड़ा पहाड़ियों पर कसार देवी मंदिर स्थित है। मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां पर देवी मां साक्षात अवतरित हुई थी।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां वाकई कई शक्तियां मौजूद हैं। भारत में यह इकलौती ऐसी जगह है जहां चुंबकीय शक्ति पाई जाती है। जिस कारण नासा के वैज्ञानिक भी यहां के बारे में कई तरह की शोध कर चुके है लेकिन आज भी कोई वैज्ञानिक इस मंदिर के रहस्य को सुलझा नहीं पाया है। वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, अल्मोड़ा के इस मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में एकदम अनोखी और अद्भुत चमत्कारिक समानताएं पाई गई हैं।
कसार देवी मंदिर परिसर में जी पी एस 8 केंद्र चिह्नित किया गया है, इस संबंध में अमेरिका की संस्था नासा ने ग्रेविटी पॉइंट( चुंबकीय केंद्र) के बारे में बताया है। मुख्य मंदिर के द्वार के बाईं ओर नासा के द्वारा यह स्थान चिह्नित करने के बाद ही GPS 8 लिखा गया है।
स्वामी विवेकानंद ने 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे। बताया जाता है कि अल्मोड़ा से करीब 22 किमी दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी। इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने गुफा में रहकर विशेष साधना की थी। हर साल इंग्लैंड से और अन्य देशों से अब भी शांति प्राप्ति के लिए सैलानी यहां आकर कुछ माह तक ठहरते हैं।

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