सीएम को उपचुनाव लड़ाने के लिए गहतोड़ी ने दिया इस्तीफा, ऐसे होगी चंपावत में धामी की आसान जीत

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Dehradun/ Champawat: चंपावत से विधायक रहे कैलाश गहतोड़ी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है। कैलाश गहतोड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के लिए अपनी सीट छोड़ी है। धामी चंपावत से उपचुनाव लड़ेंगे। जल्द ही उनके नाम का औपचारिक ऐलान हो सकता है। लेकिन चंपावत के पड़ोस खटीमा में हार झेल चुके धामी के लिए जीत हासिल करना क्या इतना आसान होगा। आइये जानते हैं धामी की जीत के वो कौन से फॉर्मूले हैं।

कैलाश गहतोड़ी ने आज सुबह विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को अपना त्यागपत्र सौंपा। गहतोड़ी ने कहा है कि मुख्यमंत्री जब उनके क्षेत्र से विधायक होंगे तो पूरे चम्पावत का चहुंमुखी विकास होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पद की कोई लालसा नहीं है, बस उनके क्षेत्र का विकास होना चाहिए । इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास व सौरभ बहुगुणा भी मौजूद रहे। सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल भी मौजूद रहे। गहतोड़ी ने 10 मार्च को चुनाव नतीजों के बाद सबसे पहले घोषणा की थी कि अगर धामी ही सीएम बनते हैं तो उके लिए मैं अपनी सीट छोड़ दूंगा। सीएम बनने के बाद धामी का पहला आधिकारिक दौरा चंपावत का ही था। इस दौरान इस बात को और बल मिल गया था कि धामी चंपावत से चुनाव लड़ेंगे।

ये है जीत का फॉर्मूला

1.खटीमा से सटा क्षेत्र

चंपावत खटीमा से सटा हुआ क्षेत्र है। जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब जनता के बीच ये स्पष्ट नहीं था कि किस पार्टी की सरकार बन रही है। लेकिन अब धामी मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में चंपावत के लोग चाहेंगे कि उनके क्षेत्र से ही सीएम बना रहे। 2017 में यह सीट बीजेपी ने 17 हजार वोटों के अंतर से जीती थी, लेकिन 2022 में यह अंतर 5000 रह गया। लेकिन सीएम के नाम के कारण यह अंतर फिर से बढ़ने की संभावना है।

  1. विकास कार्यों के प्रति सक्रियता

हर कोई चाहता है कि हमारा विधायक सीएम बने। धामी जब दूसरी बार सीएम बने तो सबसे पहला दौरा चंपावत का किया। कई विकास योजनाओं का निरीक्षण किया। कई घोषणाएं की औऐर अफसरों को विकास कार्यों में तेजी के निर्देश भी दिए। इससे स्पष्ट हो गया कि चंपावत के विकास कार्यों की निगरानी खुद सीएम करेंगे। जनता भी उतनी ही शिद्दत से धामी को वोट देगी।

  1. सैन्य वोटरों की तादात

चंपावत विधानसभा में सैन्य परिवारों के वोटरों की अच्छी तादात है, जो भाजपा को परंपरागत वोटर रहे हैं। पिछले कार्यकाल में सीएम धामी ने चंपावत में सीएसडी कैंटीन के लिए भूमि पूजन किया था। इस सीमावर्ती क्षेत्र में रह रहे सैनिक पृष्ठभूमि के वोटरों की उम्मीद अब धामी पर टिकी होगी। लिहाजा वोट भी उके ही खाते में जाने की संभावना है।

  1. संगठन की ताकत

उपचुनाव में भाजपा का पूरा अमला, औऱ संगठन की पूरी शक्ति धामी के लिए जुटी रहेगी। ऐसे में भितराघात होने की संभावनाएं ना के बराबर हैं। इस लिहाज से भी धामी के लिए चंपावत का मैदान बेहद आसान नजर आ रहा है।

 

 

 

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