#DevbhoomiDialogue
#AcidAttackVictim
#KavitaBisht
#InspiringStory
देवभूमि डायलॉग आज आपको मिलवा रहा है, संघर्ष और हौसले की प्रतिमूर्ति कविता बिष्ट से। मूल रूप से रानीखेत की रहने वाली कविता बिष्ट नोएडा में जॉब करने गई थी। 2008 में कविता जब जॉब के लिए जा रही थी, कविता बस स्टैंड पर खड़ी थी, तभी दो मनचलों ने कविता पर एसिड फेंकने का घिनौना अपराध किया। कविता भयंकर पीड़ा से जूझती रही। कानूनी पचड़ों और फौरन इलाज न मिलने के कारण कविता की हालत खराब होती जा रही थी। 8 दिन बाद कविता को होश आया तो दिल्ली के अस्पताल में महीनों तक इलाज चला। आंखों की रोशनी चली गई। यह हादसा मानसिक आघात देने वाला था। एसिड अटैक के बाद कविता करीब 2 साल तक डिप्रेशन में रही।
लेकिन कहते हैं कि जिनके हौसले बुलंद होते हैं, उनके रास्ते खुद बन जाते हैं। घर लौटने के बाद कविता ने एक साल देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान में ट्रेनिंग ली। इन संघर्षों ने कविता को नई ताकत दी। अपने दोस्तों से डोनेशन लेकर समाजसेवा में हाथ बढ़ाया। 2020 में रामनगर में कविता वीमैन सपोर्ट होम स्थापित किया। अपने संस्थान के जरिए कविता 100 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों के लिए मदद जुटा रही हैं। सपोर्ट होम में शोशित, पीड़ित महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम भी कविता कर रही हैं। अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी कविता दूसरों की जिंदगी में प्रकाश ला रही हैं। कविता कहती हैं कि संस्थान में आने वाले दिव्यांग, शोषित, पीड़ित लोग ही अब उनकी आंखें हैं, जिनके स्वावलंबी होने के साथ ही वे दुनिया को देख पा रही हैं।