सरकारी सिस्टम की नाकामी की मार, अतिथि शिक्षक और उसके बेटे का भविष्य अधर में लटका

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RUDRAPRAYAG:  सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन उत्तराखंड के स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को फुटबॉल की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। आलम ये है कि जब मन चाहे सरकार तब अतिथि शिक्षक को प्रभावित कर देती है, और इसके साथ साथ उसके परिवार औऱ बच्चों का भविष्य भी अधर में लटक जाता है। ऐसा ही एक वाकया रुद्रप्रयाग में हुआ जहां एक स्कूल से पिता- पुत्र की साथ -साथ विदाई हो गई। गेस्ट टीचर बेरोजगार हो गया तो उसके बच्चे की पढ़ाई भी खराब सरकारी तंत्र की भेंट चढ़ गई।

शुक्रवार को माध्यमिक विद्यालयों में मंडल ट्रांसफर होने से कई स्कूलों में सरकारी टीचर तैनात हो गए। लेकिन इससे कई स्कूलों में सेवा दे रहे गेस्ट टीचर तत्काल बेरोजगार हो गए। रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक में राजकीय इंटर कालेज कैलाश बांगर में 10 साल से सेवा दे रहे अतिथि शिक्षक कमल पंवार को भी इस व्यवस्था की भेंट चढ़ना पड़ा। बड़ी बात ये है कि कमल पंवार के बच्चे वैभव पंवार (7वीं मे) और भी कुणाल पंवार (10वीं कक्षा में) में उसी स्कूल में पढ़ते हैं। कमल पंवार मूल रूप से चमोली के रहने वाले हैं, जो घर से करीब 200 किलोमीटर दूर जखोली में सेवाएं दे रहे थे। लेकिन अचानक पिता बोरेजगार हो गए, उन्हें घऱ जाना पड़ा तो मजबूरी में 7वीं कक्षा के वैभव पंवार को भी पिता के साथ जाना पड़ा।

विद्यालय से कमल पंवार को विदाई मिलने के साथ साथ उनके बेटे को भी स्कूल छोड़कर जाना पड़ा। ऐसे में उस बालक की मनोदशा क्या होगी जबकि वह देख रहा है कि उसके पिता ने अपना सामान समेटकर बिना किसी दूसरी स्कूल मिले घर का रास्ता अपना लिया है। इस वाकये ने अतिथि शिक्षकों के साथ हो रहे भेदभाव को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। सरकार यदि शिक्षा व्यवस्था को वाकई संजीदगी से लेती है तो अतिथि शिक्षकों को इस दयनीय हालात से बाहर निकालना ही पड़ेगा।

 

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