उत्तराखंड को लोकपर्व इगास पर होगा राजकीय अवकाश, सीएम ने कहा आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला

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DEHRADUN:  उत्तराखंड के लोकपर्व इगास पर राजकीय अवकाश रहेगा। यह लगातार दूसरा मौका है जब राज्य को लोकपर्व पर सरकारी छुट्टी होगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह घोषणा की है। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास पर राजकीय अवकाश की घोषणा की गई थी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इगास बग्वाल उत्तराखंड वासियों के लिए एक विशेष स्थान रखती है। यह हमारी लोक संस्कृति का प्रतीक है। हम सब का प्रयास होना चाहिए कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को जीवित रखें। नई पीढ़ी हमारी लोक संस्कृति और पारम्परिक त्योहारों से जुड़ी रहे, ये हमारा उद्देश्य है।

गढ़वाली में किया ट्वीट

इसे लेकर मुख्‍यमंत्री धामी ने गढ़वाली बोली में ट्वीट किया। उन्‍होंने लिखा ‘आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला। लोकपर्व ‘इगास’ हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम से मने सको। हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ, यु हमारु उद्देश्य च।’

दीपावली के 11 दिन बाद होती है इगास

सदियों से गढ़वाल में दीपावली को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है। जबकि दीपावली (बग्वाल) के ठीक 11 दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहा जाता है। कुमाऊं के क्षेत्र में इसे बूढ़ी दीपावली कहा जाता है। इगास पर्व दीपावली से 11 दिन बाद आने वाली एकादशी को मनाया जाता है। इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान पूरी पकोड़े बनाये जाते हैं और रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है। इगास के दिन भैला खेलने का विशेष महत्व है। यह चीड़ की लकड़ी से बनाया जाता है। जहां चीड़ के जंगल न हों वहां लोग देवदार, भीमल या हींसर की लकड़ी आदि से भी भैलो बनाते हैं। इन लकड़ियों के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक साथ रस्सी से बांधा जाता है। फिर इसे जला कर घुमाते हैं। इसे ही भैला खेलना कहा जाता है।

 

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