ऑनलाइन नौकरी ढूंढने पर देहरादून का युवक बना शिकार, 23 लाख ठगे, एसटीएफ ने चीन पाकिस्तान से जुड़े 3 साइबर ठगों को किया गिरफ्तार
DEHRADUN: उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने साइबर प्रॉड करने वाले मास्टरमाइंड समेत 3 आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपियों के तार चीन और पाकिस्तान के साइबर ठगों के साथ जुड़े हैं। पकड़े गए आरोपी विदेशों में बैठे साइबर ठगों की मदद से बाइनेन्स एप, Trust Wallet के माध्यम से USDT क्रिप्टो करेंसी खातों में धनराशि का लेनदेन करते थे। देहरादून के रहने वाले एक पीड़ित को इन ठगों ने 23 लाख का चूना लगाया था।
दरअसल मोहब्बेवाला, जनपद देहरादून निवासी पीड़ित ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके द्वारा नौकरी के लिए आनलाइन naukri.com सर्च किया गया था। इस पर अज्ञात साइबर ठगों द्वारा उसको व्हाट्सएप नंबर से फोन कर बताया गया कि उन्हें आपका रिज्यूम मिला है। इसके लिये पहले आपको रजिस्टेशन चार्ज 14,800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। पीड़ित द्वारा करने के बाद ऑनलाइन लिंक के माध्यम से इन्टरव्यू के लिए कॉल आया। साइबर ठगों ने करीब 1 घंटे तक टेक्निकल इंटरव्यू लिया। और उसके बाद डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन, जॉब सिक्यिोरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा और IELTS exam आदि के नाम पर क्विक सोल्यूशन (Quick Solution) अकाउंट में रुपये जमा कराये गए। बार बार अच्छी नौकरी का झांसा देने के बाद साइबर ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए पीड़ित को कई बार विश्वास में लिया और कुल 22 लाख 96 हजार की ठगी की गई।पीड़ित की शिकायत के आधार अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
मामले की पड़ताल में साइबर क्राइम पुलिस ने बैंक खातों, मोबाइल नम्बरों और व्हाट्सएप की जानकारी के लिए सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, मेटा और गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया। साइबर पुलिस टीम द्वारा तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य इकट्ठे कर घटना के मास्टर मांइड और मुख्य आरोपियों को चिन्हित करते हुये आरोपियों की तलाश की गई। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिशें दी, लेकिन आरोपी समय-समय पर अपनी लोकेशन बदलते रहते थे। आखिरकार वो उत्तराखंड एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गए। एसटीएफ की टीम ने मास्टरमाइंड सहित 3 आरोपियों अलमास आजम, अनस आजम और सचिन अग्रवाल को मेट्रो स्टेशन जनकपुरी वेस्ट दिल्ली से गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से 6 मोबाइल फोन, 42 बैंक पासबुक, चेकबुक डेविट, क्रेडिट कार्ड और 16 सिमकार्ड, पहचान पत्र आधार कार्ड और पैनकार्ड बरामद हुए हैं।
ऐसे करते हैं साइबर ठगी
अपराधी फर्जी आइडी, मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और जानी-मानी कंपनियों से मिलते-जुलते ईमेल पते का उपयोग करके नौकरी चाहने वालों से संपर्क करते हैं। आरोपी नौकरी चाहने वालों का पूरा विश्वास जीतकर उन्हें दस्तावेज सत्यापन, रजिस्ट्रेशन, जॉब सिक्योरिटी, फास्ट-ट्रैक वीजा आदि के नाम पर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर धोखा देते हैं। इन साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ितों से ठगी गई धनराशि को लोगों के बैंक खाता डिटेल का दुरुपयोग करके प्राप्त किया जाता है. आरोपी लोगों के ओरिजनल आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि लेकर फर्जी बैंक खाते (म्यूल अकाउंट) खोलते हैं, जहां यह पैसा जमा किया जाता है। इन खातों के दस्तावेज़ और एसएमएस अलर्ट नंबरों को फिजिकली दुबई भेज दिया जाता है।
चीन पाकिस्तान से जुड़े तार
इस प्रक्रिया में दुबई का मास्टरमाइंड पाकिस्तानी एजेंटों के जरिए भारतीय सहयोगी को शामिल करता है, जो पूरे बैंक खाते के किट प्राप्त करते हैं। वहीं, चीनी एजेंट व्हाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से क्रिप्टो भुगतान और वास्तविक समय (real time) में यूपीआई डिटेल के लिए निर्देश देते हैं। गिरोह के अन्य सदस्य बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसी क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म से USDT (जो क्रिप्टो लेन-देन में उपयोग होता है) खरीदते हैं। USDT को बिनांस वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और जुड़े हुए विदेशी ठग इसे 90 रुपये प्रति USDT के बजाय 104 रुपये प्रति USDT के भाव से भारतीय रुपये भेजते हैं। मुनाफे को आपस में बांटा जाता है। इसमें 7 रुपये सचिन और बाकी 7 रुपये अलमास आजम और अनस आजम दोनों भाइयों को दिया जाता है। प्रत्येक फर्जी खाते के लिए अतिरिक्त कमीशन भी मिलता है।
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों द्वारा दुबई, चाइना और पाकिस्तान से कनेक्शन होना स्वीकार किया गया है. जिनके सम्बन्ध में इनके मोबाइल फोन में भी व्हाट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से चैटिंग होनी पायी गई। जिसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आईडी, खातों की डिटेल्स, क्यूआर कोड, स्कैनर आदि का आदान प्रदान किया गया है। इसके अलावा USDT क्रीप्टोकरेंसी में एक दूसरे से खातों में भारतीय रुपए का ट्रांजेक्शन सम्बन्धी चैट्स पाई गयी हैं।