उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने में बस एक मंजूरी की देरी, राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा यूसीसी विधेयक

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DEHRADUN:  उत्तराखंड में समाननागरिक संहिता लागू करने के लिए बस एक कदम की दूरी बची है। विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था। राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने इस विधेयक को विधायी विभाग के माध्यम से राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू को भेज दिया है। राष्ट्रपति मुर्मू की मंजूरी मिलते ही उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू हो जाएगा। दरअसल समान नागरिक संहिता समवर्ती सूची का विषय है इस लिहाज से राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास परामर्श के लिए विधेयक को भेजा है।

समान नागरिक संहिता लागू करके धामी सरकार बडी लकीर खींच सकती है। यूसीसी लागू होने के बाद अन्य राज्य भी यूसीसी के लिए कोशिश करेंगे। उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य होगा जहां आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू होगी। सरकार को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रपति इस कानून को हरी झंडी दे देंगी। चुनाव से पहले राजस्थान सरकार और असम सरकार भी यूसीसी कानून लाने की बात कह रही हैं।

यूसीसी लागू होते ही उत्तराखंड में सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक , संपत्ति, उत्तराधिकार और गोद लेने के समान नियम कायदे होंगे। शादी और लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी पंजीकरण कराना अनिवार्य हो जाएगा। अगर शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं करावाया तो सरकारी सुविधाओं से वंचित भी होना पड़ सकता है। इसके अलावा पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यूसीसी के बाद हलाला जैसी कुप्रथा पर रोक लगेगी। 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी नहीं करवाई जा सकेगी। सभी धर्म और समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा।संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा। नाजायज बच्चों को भी दंपति की जैविक संतान में गिना जाएगा।

 

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