गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाये बिना नहीं होगा पहाड़ का विकास, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष बोले

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Dehradun: सियासी दलों के चुनावी घोषणापत्रों में गैरसैंण भले ही हाशिये पर रहा हो लेकिन आम जनमानस से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग अब भी गैरसैंण को लेकर संजीदा है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष शरत सिंह नेगी का मानना है कि उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए और इसके लिए गैरसैंण से बेहतर और कुछ नहीं।

देवभूमि डायलॉग से खास बातचीत में जब एस एस नेगी से गैरसैंण पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा हमेशा से मानना रहा है, उत्तराखंड की स्थाई राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए और इसके लिए गैरसैंण से बेहतर कुछ नहीं है। नेगी ने (SS Negi endores Gairsain as permanant capital) उदाहरण देते हुए कहा कि स्विट्जरलैंड जैसे देश की राजधानी एक पहाड़ी टाउन है। भारत मे शिमला, गैंगटोक जैसे पहाड़ी क्षेत्र राजधानी रहे हैं। ऐसे में गैरसैंण पर बिना देर किए उत्तराखंड को आगे बढ़ना चाहिए। जब गैरसैंण राजधानी बनेगी तो निश्चित रूप से पहाड़ों की तकदीर संवरेगी। इस प्रदेश बना ही पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए है।

बीजेपी सरकार ने 2020 में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है। लेकिन धीरे धीरे ये मुद्दा हाशिये पर चला गया। एसएस नेगी ने कहा कि पहाड़ की जमीन संरक्षित करने के लिए सख्त भू कानून जरूरी है। और ये काम भी गैरसैंण से हो सकता है। जब ये सब होगा तभी जाकर पहाड़ का विकास धरातल पर उतर सकता है।

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