रेजांगला युद्ध में अद्भुत शौर्य दिखाने वाली 13 कुमाऊं रेजिमेंट को रेलवे का नमन,  मेजर शैतान सिंह और 120 सैनिकों की याद में लॉन्च किया इंजन

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DELHI:   भारतीय रेलवे ने 1962 के युद्ध में रेजांगला पोस्ट पर अद्भुत शौर्य दिखा चुके 13 कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर शैतान सिंह और उनके 120 सैनिकों के सम्मान में नया लोकोमोटिव इंजन लॉन्च किया है। उत्तर रेलव की ओर से X पोस्ट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है।

भारतीय रेल ने इस इंजन को रेज़ांगला नाम दिया है। इस इंजन का नंबर WDP4D 40149/40264 है। इस ट्रेन के इंजन का वीडियो भी सामने आया है। इंजन पर 13 बटालियन, कुमाऊं रेजीमेंट और रेजांगला के साथ सेना का आदर्श वाक्य, नाम, नमक और निशानभी लिखा हुआ है। इंजन के अगले भाग पर मेजर शैतान सिंह लिखा हुआ है।

बता दें कि 1962 के भारत चीन युद्ध में लद्दाख के रेजांग ला सेक्टर में कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन के सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। 13 कुमांयू की चार्ली (सी कंपनी) ने रेजांगला युद्ध के दौरान पूर्वी लद्दाख में चीनी हमले का डटकर सामना किया था। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कंपनी के 120 जवानों ने आखिरी दम तक युद्ध किया और जब तक एक भी जवान जिंदा रहा, हार नहीं मानी। चार्ली कंपनी के शौर्य को देखते हुए दुश्मन पीछे हटने को मजबूर हुआ था।

रेजांगला की लड़ाई 18 नवंबर 1962 को 17,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ी गई थी। मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में चीन से लड़ने वाली टुकड़ी में 124 सैनिकों में से तीन जवान ही जीवित बचे थे। चीन से लड़ते हुए बेहद गंभीर चोट होने के बावजूद हरियाणा के रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से ताल्लुक रखने वाले सैनिकों ने हार नहीं मानी और मरते दम तक चीनी सैनिकों को जवाब दिया। सर्दियां खत्म होने के बाद भारतीय सैनिक जब वीरगति को प्राप्त सैनिकों के पार्थिव शरीर को लेने वापस गई तो देखा कि मेजर शैतान सिंह भाटी सहित कई सैनिकों के हाथ में पिस्टल और गन थी। हथियार में कारतूस खत्म हो गए थे, लेकिन जांबाज सैनिकों ने हथियार नहीं छोड़े

कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े वीरता मेडल, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। साथ ही आठ जवानों को वीर चक्र और सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

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