
वन्य जीवों के हमले में घायल होने, मौत पर मिलेगा 6 लाख का मुआवजा, 2 करोड़ का कॉर्पस फंड बनेगा
DEHRADUN: उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमले से मौत या घायल होने पर मुआवजा राशि बढ़ा दी गई है। अब जानवरों के हमले से मौत पर 6 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया गया। मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की रोकथाम के लिए 2 करोड़ रुपए का कॉर्पस फंड बनाया जाएगा। बैठक में राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चौरासी कुटी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने को भी बोर्ड की हरी झंडी मिली है।
उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 18वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उनके परिवार को देय अनुग्रह राशि 4 लाख रूपये से बढ़ाकर 6 लाख रूपये दी जायेगी। गंभीर रूप से घायल होने पर अनुग्रह राशि 50 हजार रूपये से बढ़ाकर 1 लाख रूपये दी जायेगी। मानव वन्यजीव संघर्ष में क्षतिपूर्ति के लिए 2 करोड़ रूपये का कॉरपस फण्ड बनाया जायेगा। शिवालिक एलीफेन्ट रिजर्व की पुर्नस्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में जिम कार्बेट ट्रेल की स्थापना की जायेगी। जिम कार्बेट से जुड़े स्थानों को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाने के लिए पर्यटन विभाग के सहयोग से एक कार्ययोजना बनाई जायेगी। इसमें जिम कार्बेट से जुड़े विभिन्न स्थानों पर पट्टिका का निर्माण, ट्रैक मार्गों का जीर्णोधार किया जायेगा एवं होम स्टे को बढ़ावा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्य चरणबद्ध तरीके से शुरू किये जाएं। राजाजी टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत स्थित चौरासी कुटिया का अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकास किया जायेगा। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग के सहयोग से यह कार्य किया जायेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए वन विभाग एवं प्रशासन को सामंजस्य से कार्य करना होगा। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना की सूचना प्राप्त होते ही संबंधितों को अनुग्रह राशि 15 दिन के अन्दर प्राप्त हो जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को अनावश्यक कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने कहा कि बुग्यालों के संरक्षण की दिशा में भी विशेष ध्यान दिया जाए। बंदरों से फसलों को होने वाली क्षति को रोकने के लिए प्रभावी प्रयासों की जरूरत है, इसके समाधान के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाई जाए।
5 साल में बढ़ गए हिम तेंदुए
वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड वन सम्पदाओं वाला राज्य है। पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखण्ड की जिम्मेदार और बढ़ जाती है। प्रदेश में पिछले 05 सालों में हिम तेन्दुओं की संख्या 86 से बढ़कर 121 हो गई है।