क्या अग्निपथ योजना में होंगे बदलाव? योजना का आंतरिक सर्वे कर रही है आर्मी
DEHRADUN: सैन्य बाहुल प्रदेश उत्तराखंड के हजारों युवाओं का पूर्णकालिक सैनिक बनने का सपन जल्द साकार हो सकता है। सूत्रों की मानें तो सेना अग्निपथ स्कीम को लेकर इंटरनल सर्वे कर रही है। यह सर्वे योजना के प्रभावा का आंकलन करने के लिए हो रहा है। सर्वे की रिपोर्ट में जो सिफारिशें मिलेंगी उसके मुताबिक ही अग्निपथ योजना में बदलाव किया जा सकता है।
बता दें कि अग्निपथ योजना शुरुआत से ही विवादों में रही है। देशभर में युवाओं में अग्निवीर योजना के प्रति आक्रोश देखा गया। सैन्यधाम उत्तराखंड में भी हजारों युवा इस योजना से प्रभावित हुए। बागेश्वर जिले में भी अग्निवीर न बन पाने के कारण एक युवा ने खुदकुशी की थी। बताया जा रहा था कि अग्निपथ योजना के कारण एनसीसी का सी सर्टिफिकेट होने के बावजूद उसे सेना में नहीं लिया गया। जबकि पहले की सैन्य व्यवस्था के हिसाब से एनसीसी -सी सर्टिफिकेट धारक को फिजीकल टेस्ट नही देना होता। अग्निपथ योजना के विपरीत प्रभावों को लेकर ऐसे तमाम वाकये देशभर से आए थे।
लोकसभा चुनाव के दौरान अग्निपथ योजना बडा मुद्दा बनी थी। सैन्य बाहुल उत्तराखंड में जगह जगह योजना के खिलाफ आक्रोश देखा गया था। मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो सेना में भर्ती की पुरानी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।
लेकिन अब खबरें हैं कि सेना भी अग्निपथ योजना को लेकर एक ‘इंटर्नल सर्वे’ कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सेना इंटरनल सर्वे करवा रही है। ये सर्वे योजना के प्रभाव का आंकलन करने के लिए होगा, जिसके आधार पर योजना में संभावित बदलावों पर अगली सरकार के लिए सिफारिशें तैयार हो सकें। इस सर्वे में अग्निवीरों, सेना के विभिन्न रेजिमेंटल केंद्रों पर भर्ती और ट्रेनिंग कर्मियों, यूनिट और सब-यूनिट कमांडरों (जिनके अधीन अग्निवीर काम करते हैं) सहित सभी हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं।
हर समूह के लिए ख़ास प्रश्न रखे गए हैं, जिनके जवाबों को इकट्ठा विश्लेषण किया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, 10 सवालों की एक प्रश्नावली रखी जाएगी, जिसके आधार पर जवाब दिए जाएंगे। जो प्रमुख सवाल होंगे उनमें, अग्निवीर सेना में क्यों शामिल होंगे, सेना में आगे शामिल होने के लिए कितने उत्सुक हैं, देश सेवा में कितना विश्वास रखते हैं, जैसे प्रश्न रखे गए हैं। साथ ही सामान्य जागरूकता स्तर, आवेदकों की गुणवत्ता और देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदकों के ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा पर भी सवाल होंगे। सर्वे में इसके बारे में भी पता लगाया जाएगा कि अग्निवीर योजना के कार्यान्वयन के बाद सेना में भर्ती पर समग्र रूप से क्या प्रभाव पड़े होंगे। अग्निपथ योजना के पहले भर्ती हुए सैनिकों और अग्निवीरों के शारीरिक मानकों, उनके प्रशिक्षण और प्रशिक्षण के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रतिक्रिया ली जाएगी।
माना जा रहा है कि इन जानकारियों के आधार पर सेना अग्निवीरों की नियुक्ति और अग्निपथ योजना में संभावित बदलावों का सुझाव देगी।
बता दें कि अग्निपथ योजना की शुरुआत जून 2022 में हुई थी। इसके तहत सेना के तीनों अंगों में चार साल के लिए अग्निवीर भर्ती किए जाएंगे। जितने अग्निवीर भर्ती होंगे उनमें से 25 फीसदी ही उनकी परफॉरमेंस के आधार पर परमानेंट नियुक्ति पाएंगे। यानी पूर्णकालिक सैनिक बनेंगे। अग्निपथ के पीछे तर्क दिया गया कि इससे सेना की दक्षता में इज़ाफा होगा और वो आने वाले समय में चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी कर पाएगी। अग्निपथ से ज्यादा से ज्यादा युवा सैनिक देश को मिलेंगे और सेनाओं की औसमत उम्र में भी कमी आएगी। यानी यंग आर्मी के कॉन्सेप्ट के लिए ये योजना लाई गई है।