घर चलाने के साथ ड्रोन उड़ाने से छा गई पहाड़ की ड्रोन दीदियां, खेती में ड्रोन की मदद से कर रही खाद और कीटनाशकों का छिड़काव

Share this news

NAINITAL: उत्तराखंड में खेती की तस्वीर अब बदली नजर आने लगी है। खेतों में खाद औऱ कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन उड़ाती महिलाओं की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। नैनीताल के मोटा हल्दू की रहने वाली पूनम दुर्गापाल ड्रोन उड़ने वाली नैनीताल की पहली महिला किसान बनी है। घर का कामकाज संभालने के साथ साथ पूनम खेतों में ड्रोन के माध्यम से उर्वरक और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रही हैं। इससे न सिर्फ किसानों की मदद हो रही है बल्कि पूनम भी आत्मनिर्भर बनी हैं।

ड्रोन दीदी योजना

दरअसल भारत सरकार ने खेती में नए प्रोयोगों और महिलाओं को सशक्त करने के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना शुरू की है। योजना के तहत उत्तराखंड की चार महिलाओं को निशुल्क ड्रोन और इसे कैरी करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन भी उपलब्ध कराया गया है। जिसके तहत यह महिलाएं अब अपने खेतों के साथ-साथ दूसरे किसानों की फसलों पर भी कीटनाशक दवाइयां और उर्वरक का छिड़काव कर रही हैं। एनआरएलएम महिला समूह से जुड़ी नैनीताल की पूनम दुर्गापाल, देहरादून की पूजा गौड़, खटीमा की कमलजीत कौर और रुद्रपुर की शुभ्रा उत्तराखंड की ड्रोन दीदी बनी हैं।

इफको की ओर से इन महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए गुरुग्राम भेजा गया था, जहां 15 दिन के परीक्षण के बाद महिलाएं अब ड्रोन उड़ाने में महारथ हासिल कर खेतों में ड्रोन के माध्यम से उर्वरक और रसायनों की छिड़काव कर रही हैं। पूनम दुर्गापाल ने बताया कि पहले खेतों में रसायन की छिड़काव के लिए मैन्युअल या पीठ पर गैलन के माध्यम से खेतों में उर्वरक और रसायन का छिड़काव करते थे। इससे ज्यादा समय लगता था औऱ पानी की भी ज्यादा खपत होती थी। लेकिन अब एक बार ड्रोन उड़ान से 10 मिनट में 1 एकड़ भूमि में छिड़काव हो जाता है। पूनम दुर्गापाल ने बताया कि किसानों के खेतों में उर्वरक छिड़काव के लिए प्रति एकड़ ₹300 रेट रखा गया है। यहां तक कि ड्रोन को लाने ले जाने के लिए इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इलेक्ट्रिक कैरी वीकल और जनरेटर भी उपलब्ध कराया है। इस ड्रोन में कैमरा भी लगाया गया है जिससे कि काम करने के दौरान तस्वीरों को साफ देखा जा सके और इन तस्वीरों वीडियो और फोटो भी खींची जा सकती है।

 

 

ये होगा फायदा

मैनुअल तरीके से खाद औऱ कीटनाशकों का छिड़काव करने में ज्यादा श्रम और ज्यादा वक्त लगता थाष पानी की बर्बादी भी बहुत होती थी। लेकिन ड्रोन की मदद से चंद मिनटों में सटीकता से ये काम हो सकेगा। कीटनाशक की भी बचत होगी। कीटनाशक छिड़काव के दौरान इससे मानव स्वास्थ्य पर कीटनाशकों का प्रभाव भी कम होगा। किसी भी फसल में अचानक बीमारी आ जाने के कारण स्प्रे करना असंभव होता था, अब ड्रोन तकनीक से एक बार में काफी बड़े एरिया में छिड़काव किया जा सकेगा। पहले समय के अभाव में किसान दवा का छिड़काव नहीं कर पाते थे, जिससे फसलों में कीड़े लग जाते थे और फसलें बर्बाद होती थी, लेकिन अब ड्रोन से एक भी बार में ज्यादा एकड़ में छिड़काव हो सकेगा।

 

(Visited 115 times, 1 visits today)

You Might Be Interested In