नशा मुक्ति केंद्रों पर रहेगी पैनी नजर, मानसिक स्वास्थ्य नियमावली मंजूर, नियम तोड़ने पर 2 साल की जेल
DEHRADUN: केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर अपनी मुहर लगाई है। नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। नई नियमावली से मानसिक रोगियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैरसरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।
दरअसल केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई। मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 के तहत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर गढ़वाल में, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।
नई नियमावली के तहत प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।
इन नियमों का भी करना होगा पालन
नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं।
डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा।
नशा मुक्ति केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा।
मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा।
केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए।
जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी।
इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) की समय-समय पर जांच एवं निरीक्षण करने का प्रावधान भी इसमें निहित है। जिसमें किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा गैर अनुपालन या प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थित में ऐसा न करने पर अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है।
नियमों तोड़ने पर सख्त सजा
नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लंघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है।
ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है।
यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार-बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है।