
सीमांत गांवों के पशुपालकों के लिए वरदान बनी ये स्कीम, ITBP को मीट बेचकर 3 माह में कमाए 1.6 करोड़ रुपए
DEHRADUN: भारततिब्बत सीमा पुलिस के जवानों के लिए स्थानीय स्तर पर मीट की आपूर्ति करना पहाड़ के लोगों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। सीमांत क्षेत्रों के पशुपालकों के लिए 3 महीने पहले ये योजना शुरू की गई थी, जिसके बाद तीन महीने में ही सीमांत क्षेत्र के पशुपालकों ने आईटीबीपी को 1.64 करोड़ रुपए का मांस सप्लाई किया है।
सीमांत गांवों के स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार व आईटीबीपी के बीच मांससप्लाई को लेकर एमओयू हुआ था। जिसके अनुसार वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत आईटीबीपी की उत्तराखंड में तैनात वाहिनी के लिए स्थानीय उत्पादों जैसे कि जिंदा बकरी व भेड़, चिकन और मछली की आपूर्ति उत्तराखंड के ही दुरुस्त जनपदों के पशुपालकों से ही करने पर सहमति बनी थी।
आंकड़ों की बात करें तो पिछले पिछले 3 माह में ITBP ने कुल 64,034 किलो मांस (मछली, चिकन, भेड़ व बकरी) पिथौरागढ़, चमोली, उत्तकरकाशी व चंपावत के स्थानीय पशुपालकों से खरीदा हैं। जिस क्रम में अभी तक कुल 1 करोड़ 64 लाख रुपये की धनराशि DBT के माध्यम से विभिन्न पशुपालकों के खातों में पशुपालन विभाग ने डाल दिए हैं।
उत्तराखंड में यह पहला मौका है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में भेड़, बकरी, मछली एवं मुर्गीपालकों को विपणन के लिए बाजार उपलब्ध कराया गया है। योजना को धरातल पर सफल तौर पर उतारने के क्रम में विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सचिव पशुपालन बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम व इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी दिशांत सिंह की पीठ थपथपाई है।