कांग्रेस में नए निजामों की ताजपोशी से क्या हरीश रावत के सियासी करियर का अंत हो गया!
Dehradun: एक अदद जीत के लिए तरस रही कांग्रेस को रविवार रात एक हौसला देने वाली खबर आई थी। हाईकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष और नए नेता प्रतिपक्ष का चयन करके क्षेत्रीय क्षत्रपों को खुश करने की कोशिश की । लेकिन जानकारों की मानें तो नई लोगों (harish rawat group side lined as congress apponits new PCC CHief and CLP Leader) की ताजपोशी से हरीश रावत के सियासी करियर के खात्में के मायने भी निकाले जा रहे हैं।
दरअसल कांग्रेस ने करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। कहने को तो कभी माहरा हरीश रावत के करीबी माने जाते थे। लेकिन लंबे समय से उनकी हरीश रावत से अंदरूनी अदावत है। हरीश रावत के वेल विशर्स रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा तो ले लिया गया, लेकिन दोबारा पीसीसी चीफ की नियुक्ति के वक्त उनके नाम पर विचार तक नहीं किया गया।
दूसरी तरफ 4 साल तक भाजपा में सत्ता की मलाई खाने के बाद कांग्रेस में आए यशपाल आर्या को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा दिया गया है। इसे प्रीतम गुट के लिए झटका माना जा रहा है। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत के करीबियों को भी इस पद से दूर रखा है। सदन में पार्टी के उपनेता के लिए भी प्रीतम सिंह के करीबी का चयन किया गया। सीएम धामी को हराने वाले भुवन कापड़ी को कांग्रेस ने उपनेता प्रतिपक्ष चुना है।
आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस नेता सदन और पार्टी अध्यक्ष को चुनने में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हैं। अब तक दोनों में दलों में यही परिपाटी चली आ रही थी। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इस बार लीक से हटकर फैसला लिया है। नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष औऱ उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर कुमाऊं के नेताओं का चयन हुआ है। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस ने इस परिपाटी को तोड़ा जरूर है लेकिन इसके पीछे बड़ा संकेत दिया है। हरीश रावत ग्रुप के किसी भी नेता को सिर उठाने का मौका नहीं दिया है। हरीश रावत वैसे तो सोशल मीडिया पर बधाई देने में कभी पीछे नहीं रहते, लेकिन करीब 20 घंटे बीतने के बाद भी हरीश रावत की ओर ने करन माहरा, यशपाल आर्या या भुवन कापड़ी को बधाई संदेश नहीं आया है। कहने को तो आज हरीश रावत कांग्रेस के प्रदर्शन में भी शामिल थे, लेकिन ये भी दीगर है कि अभी तक इन तीनो नेताओं ने पद नहीं संभाला है।
तो क्या ये माना जाए, कि कांग्रेस हाईकमान ने हर तरफ से हीरश रावत को किनारे लगाने के लिए नए निजामों के नाम घोषित किए हैं।?