वन विभाग ने रोका भगवान तुंगनाथ की डोली का रास्ता,  घंटों तक कंधों पर रही तृतीय केदार की डोली

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RUDRAPRAYAG:  सरकारी सिस्टम इंसान तो क्या भगवान को भी नचाने से नहीं चूक रहा। ताजा मामला रुद्रप्रयाग की तुंगनाथ घाटी का है। यहां पारंपरिक रास्ते में वन विभाग के गेस्ट हाउस बनने से भगवान तुंगनाथ की डोली को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। जिस वजह से कई घंटों तक बाबा की डोली भक्तों के कंधों पर ही रही। कड़ी जद्दोजहद के बाद डोली को आगे का रास्ता दिया गया।

दरअसल 4 नवंबर को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। जिसके बाद बाबा की डोली को कल रात विश्राम के लिए चोपता लाया गया था। यहां से मंगलवार को डोली को अगले पड़ाव भनकुंड के लिए जाना था। जहां से ये पारंपरिक रास्ता जाता है वो वन विभाग की भूमि है। जहां पर विभाग ने स्थाई टैंट बना दिए हैं।

बता दें कि तुंगनाथ की डोली का सदियों से यही रास्ता रहा है। यहां स्थानीय लोगों ने रोजगार के लिए ठेले खोमचे लगाए थे। लेकिन इस वर्ष वन विभाग ने इन सभी को अतिक्रमण मानते हुए हटा दिया था और यहां टैंट का निर्माण कर दिया था। जिस वजह से ये रास्ता पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

मंगलवार को जैसे ही डोली यहां पहुंची, डोली नाचने लगी और आगे बढ़ने की जिद करने लगी। लेकिन वन विभाग ने रास्ता नहीं खोला। स्थानीय लोगों ने परंपरा का हवाला भी दिया लेकिन वन विभाग अपनी जिद पर अड़ा रहा। नतीजा कई घंटों तक डोली को भक्तों के कंधों पर ही रहना पड़ा। इस दौरान भक्तों ने भगवान के भजन गाकर डोली को शांत किया। रुद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी समेत कई स्थानीय लोग और प्रशासन के लोग यहां पहुंचे और जद्दोजहद के बाद डोली के लिए ये रास्ता खुलवाया गया। जिसके बाद शाम करीब 5 बजे डोली हुड्डू गांव पहुंची।

भगवान तुंगनाथ की डोली मंगलवार को बणतोली, दैड़ा, सारी गांवों में अल्प विश्राम करते हुए आज देर रात तक भनकुन पहुंचेगी, जहां कल तक विश्राम करने के बाद 7 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां शीतकाल में 6 माह के लिए भगवान तुंगनाथ के दर्शन हो सकेंगे।

 

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