पहाड़ का ये सरकारी स्कूल कर रहा कमाल, एक साथ 40 बच्चे सैनिक स्कूल के लिए हुए चयनित

Share this news

BAGESHWAR:  सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के प्रवेश परीक्षा के नतीजे घोषित हो गए हैं। उत्तराखंड के कई बच्चों को कामयाबी मिली है लेकिन पहाड़ एक ऐसा स्कूल है, जहां 40 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रवेश परीक्षा में सफल हुए हैं। राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछले कुछ वर्षों में राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट रोज नए मुकाम छू रहा है। हर साल यहां के बच्चे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में स्थान पाते रहे हैं। 2022 में भी इस स्कूल के 22 छात्रों ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई किया था।

बता दें कि साल 2016 से इस स्कूल को आदर्श विद्यालय बनाया गया। जिसके बाद यहां केडी शर्मा को प्रधानाध्यापक बनाया गया। जिसके बाद से हर साल स्कूल नया मुकाम छूने लगा। हर साल यहां के बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल समेत अन्य स्कूलों में निकलते रहते हैं। आलम ये है कि यहां पहली कक्षा से प्रवेश के लिए बच्चों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम होता है।

स्कूल की इस उपलब्धि पर शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि ऐसी सफलता की कहानियाँ और भी हैं जो हमें प्रेरित भी करती हैं और ऊर्जीकृत भी। विद्यालयों में आने वाले बच्चे केवल छात्र ही नहीं होते हैं अपितु हमारे परिवार,समाज और राष्ट्र का भविष्य होते हैं। इनका निर्माण मज़बूत राष्ट्र के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। पूरा विद्यालयी शिक्षा विभाग इस पावन उद्देश्य को प्राप्त करने में रत है। उन्होंने सभी सफल छात्रों एवं गुरुजनों और अधिकारियों को शुभकामनाएं दी।

शिक्षक देते हैं फ्री की एक्सट्रा क्लास

राजकीय आदर्श प्राथमिक स्कूल कपकोट के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा, शिक्षक मंजू गढ़िया, हरीश ऐठानी व अजय तिवारी सुबह छह से रात 10 बजे तक अध्यापन के लिए उपलब्ध रहते हैं। शिक्षक छह घंटे की ड्यूटी के बाद सात से आठ घंटे तक विद्यालय में रहकर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों की निशुल्क तैयारी कराते हैं।बच्चों में शुरू से ही प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे रहनेका जज्बा भरा जाता है। सुलेख में भी यही लिखाया जाता है कि मुझे सैनिक स्कूल के लिए चयनित होना है। जब लगन ही ऐसी हो तो सफलता तो मिलनी ही है।

एंट्रेंस के लिए लगती है लाइन

एक तरफ बच्चे सरकारी स्कूलों स मुंह मोड़ रहे हैं, वहीं पहाड़ का ये सरकारी स्कूल नित नए कीर्तिमान रच रहा है। आलम ये है कि यहां पहली कक्षा के पांचवीं कक्षा में एडमिशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। जब सभी को एडमिशन देना संभव नही हो पाता तो स्कूल के शिक्षकों ने इसके लिए एडमिशन टेस्ट का रास्ता चुना है। आलम ये है कि शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही एंट्रेंस टेस्ट के फॉर्म हाथोंहाथ भर लिए जाते हैं। लोग प्राइवेट स्कूलों स अपने बच्चों को निकालकर यहां भर्ती कराना चाहते हैं।

कपकोट प्राइमरी स्कूल की नींव 1872 में पड़ी थी। पिछले साल तक यहां हर वर्ष  लगभग 5-6 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में प्रवेश पा रहे हैं। लेकिन इस बार सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं। यहां के बच्चों का सैनिक स्कूल के अलावा जवाहर नवोदय और राजीव नवोदय के लिए हर साल आठ से दस बच्चों का चयन होता है। अब तक जवाहर नवोदय में 30 और राजीव नवोदय विद्यालयों में 20 बच्चे पढ़ रहे हैं। हिम ज्योति देहरादून के लिए 17 बच्चों का चयन हुआ है। जिला और व राज्य स्तरीय गणित जनरल नालेज आदि प्रतियोगिताओं में भी यहां के बच्चे अव्वल आ रहे हैं।

(Visited 3765 times, 1 visits today)

You Might Be Interested In