पहाड़ के इस सरकारी स्कूल ने गाढ़े झंडे, टीचरों की मेहनत को देश कर रहा सलाम, सैनिक स्कूल के लिए एक साथ 22 बच्चों का चयन
BAGESHWAR: पहाड़ का एकप्राइमरी स्कूल इन दिनों फिर से चर्चा में है। जिस स्कूल में ऐसा टीचर हो जो फ्री में कोचिंग संस्थानों से बढ़िया पढ़ाई करवाता हो, जहा के शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को मिशन मानकर चलते हों। जहां बच्चों को सुलेख में यही लिखाया जाता हो कि उन्हें सैनिक स्कूल के लिए चयनित होना हो, वो स्कूल भला कैसे पीछ रह सकता है। हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जिले के राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट की। पिछले महीने सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम हुआ था। जब इसके नतीजे आए तो कपकोट की स्कूल का परचम लहरा रहा था। इस स्कूल के एक-दो नहीं बल्कि एक साथ 22 बच्चे सैनिक स्कूल के लिए चयनित हुए हैं। आज देशभर में पहाड़ के इस स्कूल की चर्चा हो रही है। ये सब संभव हुआ है स्कूल के प्रधानाध्यापक के डी शर्मा की मेहनत और जज्बे के चलते।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने छठी व 9वीं कक्षा में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे थे। जिसका कुछ दिन पहले स्कोर कार्ड जारी कर दिया है। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित कपकोट आदर्श प्राथमिक विद्यालय के 22 बच्चों ने सैनिक स्कूल के लिए क्वालिफाई किया है। एक ही स्कूल से एक साथ इतने बच्चों के चयन ने पूरे देश से वाहवाही लूटी है। स्कूल के बच्चों की उपलब्धि पर पूरे स्कूल में खुशी की लहर है। लोगों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक लगन से बच्चों को पढ़ाएं तो साधारण स्कूल भी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा ने बताया कि सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा के परिणाम ने बच्चों, अभिभावकों के साथ गुरुजनों को भी खुशी का मौका दिया है।
शिक्षक देते हैं फ्री की एक्सट्रा क्लास
राजकीय आदर्श प्राथमिक स्कूल कपकोट के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा, शिक्षक मंजू गढ़िया, हरीश ऐठानी व अजय तिवारी सुबह छह से रात 10 बजे तक अध्यापन के लिए उपलब्ध रहते हैं। शिक्षक छह घंटे की ड्यूटी के बाद सात से आठ घंटे तक विद्यालय में रहकर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों की निशुल्क तैयारी कराते हैं। बच्चों में शुरू से ही प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे रहने का जज्बा भरा जाता है। सुलेख में भी यही लिखाया जाता है कि मुझे सैनिक स्कूल के लिए चयनित होना है। जब लगन ही ऐसी हो तो सफलता तो मिलनी ही है।
एंट्रेंस के लिए लगती है लाइन
एक तरफ बच्चे सरकारी स्कूलों स मुंह मोड़ रहे हैं, वहीं पहाड़ का ये सरकारी स्कूल नित नए कीर्तिमान रच रहा है। आलम ये है कि यहां पहली कक्षा के पांचवीं कक्षा में एडमिशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। जब सभी को एडमिशन देना संभव नही हो पाता तो स्कूल के शिक्षकों ने इसके लिए एडमिशन टेस्ट का रास्ता चुना है। आलम ये है कि शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही एंट्रेंस टेस्ट के फॉर्म हाथोंहाथ भर लिए जाते हैं। लोग प्राइवेट स्कूलों स अपने बच्चों को निकालकर यहां भर्ती कराना चाहते हैं।
कपकोट प्राइमरी स्कूल की नींव 1872 में पड़ी थी। पिछले साल तक यहां हर वर्ष लगभग 5-6 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में प्रवेश पा रहे हैं। लेकिन इस बार सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं। यहां के बच्चों का सैनिक स्कूल के अलावा जवाहर नवोदय और राजीव नवोदय के लिए हर साल आठ से दस बच्चों का चयन होता है। अब तक जवाहर नवोदय में 30 और राजीव नवोदय विद्यालयों में 20 बच्चे पढ़ रहे हैं। हिम ज्योति देहरादून के लिए 17 बच्चों का चयन हुआ है। जिला और व राज्य स्तरीय गणित जनरल नालेज आदि प्रतियोगिताओं में भी यहां के बच्चे अव्वल आ रहे हैं।