चमोली हादसे पर SDM ने सौंपी जांच रिपोर्ट, इनकी घोर लापरवाही से गई 16 लोगों की जान

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CHAMOLI:  चमोली में नमामि गंगे के एसटीपी में 19 जुलाई को करंट फैलने से हुए हादसे की मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो गई है। एसडीएम अभिषेक त्रिपाठी ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम हिमांशु खुराना को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में एसटीपी संचालित करने वाली कंपनी औऱ विद्युत विभाग व जल संस्थान के अधिकारियों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। बता दें कि 19 जुलाई को एसटीपी में करंट फैलन से 16 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी , जबकि 11 लोग घायल हुए हैं।

हादसे का सच

19 जुलाई को हुए हादसे के बाद टीम ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना करने के बाद 39 लोगों के बयान दर्ज कराए। विद्युत विभाग के एक्सपर्ट को भी साथ रखा औऱ उनकी राय ली। जांच रिपोर्ट की आख्या के अनुसार एसटीपी संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारियों और बिजली विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही की वजह से 16 लोगों की जान चली गई। रिपोर्ट में विद्युत विभाग और जल संस्थान के अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है। एसटीपी का संचालन जयभूषण मलिक कांट्रेक्टर (पटियाला) और कांफिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्रा.लि. (कोयंबटूर) की ज्वाइंट वेंचर संयुक्त रूप से करती हैं।

ये खामियां पाई गई

जांच रिपोर्ट में एसटीपी प्लांट की विद्युतीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले चेंज ओवर पैनल में शार्ट सर्किट हुआ और कंट्रोल पैनल एवं मेन पैनल में तीव्र अर्थ फॉल्ट हुआ। अगर मेन पैनल से सर्किट पाथ में उचित अर्थिंग की व्यवस्था नही थी जिससे यह करंट अर्थ कनेक्शन से जुड़े मैटेलिंक स्ट्रक्चर, जिसमें प्लांट में प्रवेश हेतु निर्मित सीढ़ियां और रेलिंग जाली आदि में फैल गया। इसी कारण उपस्थित व्यक्ति, जो लोहे के स्ट्रक्चर, रेलिंग, जाली आदि के संपर्क में थे, उन्हें करंट लगा और उनकी मौत हो गई, जबकि कई व्यक्ति घायल हो गए।

विद्युत सुरक्षा विभाग की व्याख्या के अनुसार मीटर के बाद Mc Junction Box में  उचित क्षमता का MCCB लगा होना चाहिए था, जो की नहीं लगा था, इसके स्थान पर चेंज ओवर का प्रयोग किया जा रहा था।

STP परिसर पर अर्थिंग मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई. अर्थिंग के लिए वैल्यू मानकों से अधिक पाई गई। ऐसी स्थिति में शार्ट सर्किट होने पर पूर्ण रूप से करंट की अर्थिंग न होकर STP के लोहे के स्ट्रक्चर और लोहे की रेलिंग में प्रवाहित हुई।

जांच रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि अनुबंधित फर्म के द्वारा किए गए कार्यों का अनुश्रवण/समीक्षा आदि नही होता था।

इसके अलावा विद्युत विभाग और जल संस्थान के कार्मिकों के बीच आपसी सामंजस्य का की भारी कमी थी, जिससे इस हादसे में इतने लोगों को जान गंवानी पड़ी।

दुर्घटना में इतने लोगों क मौत का कारण तंग रास्ते को भी माना गया है, संकरे रास्ते के कारण लोगों को दूर दूर छिटकने या सुरक्षित स्थान पर जाने का समय नहीं मिला।

 

16 मौतों के ये हैं जिम्मेदार

जांच में दुर्घटना के लिए जिम्मेदार प्रतिष्ठान, विभाग और कार्मिकों का भी जिक्र किया गया है। जिसमें एसटीपी संचालन कर रही कंपनी जयभूषण मलिक , कॉन्ट्रैक्टर पटियाला और कॉन्फिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्रा लि. कोयंबटूर के ज्वाइंट वेंचर के साथ साथ उत्तराखंड पेयजल निगम/जल संस्थान और यूपीसीएल के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।

कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक जो कि इन दिनों ज़िला कारागार ने बंद हैं, भाष्कर महाजन, डायरेक्टर एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली व ज्वाइंट वेंचर फर्म के रूप में विभाग के साथ अनुबंध करने वाले जय भूषण मलिक एवं रत्ना कुमार द्वारा एक दूसरे पर दायित्व और जिम्मेदारियों के आरोप लगाने से ज्वाइंट वेंचर फर्म के द्वारा विभाग के साथ किए गए अनुबंध का स्पष्ट उल्लंघन होता पाया गया है।

एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली के डायरेक्टर भास्कर महाजन, ज्वाइंट वेंटर में अधिकृत व्यक्ति नही थे, फिर भी एसटीपी में कार्यरत थे। लिहाजा उनको भी जिम्मेदार माना गया है। एसटीपी के ऑपरेशंस और मेंटेनेंस के लिए जल संस्थान गोपेश्वर को प्रस्तुत बिलों का संदिग्ध हपाया गया है सभी बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई है।

मामले में अभी कुल चार लोगों की गिरफ़्तारी चमोली पुलिस कर चुकी है, जबकि जांच रिपोर्ट के बाद अन्य लोगों पर भी गिरफ़्तारी और निलंबन की तलवार लटक सकती है.

 

जांच में ये सिफारिश

एसटीपी संचालित कर रही ज्वाइंट वेंचर के अनुबंध को तत्काल खत्म किया जाए। साथ ही दोनों फर्मों को उत्तराखंड में ब्लैक लिस्ट किया जाए। इसके अलावा भाष्कर महाजन की फर्म एक्सिस पावर को भी उत्तराखंड में ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की गई है।

इन जिम्मेदार फर्मों से अनुबंध की अवधि तक एसटीपी के संचालन के लिए खर्चे को वसूल करने की भी संस्तुति की गई है

इन के खिलाफ विधिक दंडात्मक कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की गई है।

जल संस्थान और विद्युत विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इन कंपनियों के बीच अनुबंध की शर्तों का अनुपालन करने में नाकाम रहे, इसके अलावा कई गंभीर लापरवाही विभागीय अधिकारियों के द्वारा बरती गई, उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की बात कही गई है।

घटना से सबक लेकर अन्य सभी एशटीपी में सेफ्टी ऑडिट कराने की संस्तुति भी रिपोर्ट में की गई है।

 

 

 

 

 

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