एक था गांव ने जीता नेशनल फिल्म अवार्ड, राष्ट्रपति मुर्मू ने की सृष्टि लखेड़ा की तारीफ, पाताल ती ने भी दिखाई धमक
New Delhi: मंगलवार को विज्ञान भवन दिल्ली में 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरित किए गए। समारोह में उत्तराखंड के टैलेंटेड युवाओं के प्रयासों को जमकर सराहा गया। उत्तराखंड की शॉर्ट फिल्म पाताल ती को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी का अवॉर्ड दिया गया जबकि इसके एक था गांव को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म और बेस्ट लास्ट ऑडियोग्राफी के पुरस्कार से नवाजा गया। इस दौरान एक था गांव की निर्देशिका सृष्टि लखेड़ा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जमकर सराहा।
बेस्ट नॉन फीचर फिल्म की सूची में लघु फिल्म पाताल ती को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी (Best Cinematography पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक संतोष रावत हैं। जबकि, सिनेमेटोग्राफर बिट्टू रावत हैं। पाताल ती फिल्म 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल कोरिया के लिए भी सिलेक्ट हुई थी। पाताल ती एक शॉर्ट फिल्म है, जो भोटिया जनजाति की लोक कथा पर आधारित है। इस फिल्म के निर्माण के लिए पूरी टीम ने कड़ी मेहनत की है। टीम ने पहाड़ों पर पैदल चलकर कई ऐसे दृश्य फिल्माए हैं, जो देखने में अकल्पनीय और बेहतरीन हैं। इस शॉर्ट फिल्म का बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने फिल्मांकन किया है।
बेस्ट नॉन फीचर फिल्म (Best Non Feature Film) का अवार्ड एक था गांव को प्रदान किया गया। फिल्म की निर्माता निर्देशक सृष्टि लखेड़ा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्ण कमल से सम्मानित किया। एक था गांव फिल्म खाली होते पहाड़ों की पृष्ठभूमि पर बनाई गई है। इस फिल्म में पहाड़ों की मौजूदा हकीकत के साथ घोस्ट विलेज यानी खाली होते गांवों की कहानियों को दिखाया गया है। इसके अलावा इस फिल्म में पलायन और पहाड़ से जुड़े दूसरे मुद्दों को भी बखूबी पर्दे पर उतारा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक था गांव की निर्देशक सृष्टि लखेड़ा को सराहा। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेड़ा ने एक था गांव नामक अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता का चित्रण किया है. महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता एवं सम्मान में वृद्धि होगी।