अब रजिस्ट्री के लिए कचहरी आने की जरूरत नहीं, जानिए क्या है वर्चुअल रजिस्ट्री का प्रोसेस

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DEHRADUN: उत्तराखंड कैबिनेट ने जमीनों की रजिस्ट्री में धांधली रोकने और लोगों को सहूलियत देने के लिए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कैबिनेट ने जमीनों की वर्चुअल रजिस्च्री पर मुहर लगाई है। यानी जमीन का क्रेता या विक्रेता अब घर बैठे ही रजिस्ट्री प्रोसेस में अपनी हाजिरी लगा सकते हैं।

कैबिनेट के फैसले के अनुसार राज्य में भूमि की खरीद या बिक्री समेत लेखपत्रों के निबंधन के लिए अब पक्षकारों को निबंधन कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे उम्रदराज बीमार असहाय एवं दिव्यांग व्यक्तियों को कार्यालय आने से राहत मिल गई है। साथ में भूमि की खरीद व बिक्री में फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।

ऐसे होगी वर्चुअल रजिस्ट्री

आमतौर पर रजिस्ट्री करान के लिए क्रेत और विक्रेता दोनों पक्षों को रजिस्ट्रार ऑफिस में मौजूद होना अनिवार्य होता है। रजिस्ट्रार दोनो पक्षों और गवाहों का सत्यापन करके ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करता है। लेकिन अब उपनिबंधक कार्यालय वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्षकारों का सत्यापन कर सकेंगे। यानि अगर कोई व्यक्ति कचहरी में उपस्थित नहीं हो सकता तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रजिस्ट्रार के सामने सत्यापन करवा सकता है। व्यक्ति के हस्ताक्षर ई-साइन विधि से लिए जाएंगे। पक्षकारों के लिए डिजिटल हस्ताक्षर कापी ऑनलाइन अपलोड करना संभव होगा।

इस नियम के तहत रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्री से कुछ दिन पूर्व इस बात की जानकारी देनी होगी कि संबंधित व्यक्ति ऑनलाइन रजिस्ट्री में जुड़ेंगे। ऐसे में जूम (ऐप) या अन्य प्लेटफॉर्म के माध्यम से रजिस्ट्रार उस व्यक्ति से सवाल जवाब करके यह प्रमाणित करेगा कि व्यक्ति की जमीन खरीदी या बेची जा सकती है या नहीं। ऑनलाइन जुड़ने के बाद भी इस बात की पूरी तस्दीक की जाएगी कि ऑनलाइन जुड़ा व्यक्ति सही है या नहीं। इसके कागजों का अध्ययन गारंटर सहित अन्य जांच की जाएगी।

आमतौर पर बीमार, बुजुर्ग या असहाय लोगों को रजिस्ट्रार ऑफिस आने में दिक्कतें होती हैं। उत्तराखंड के कई लोग अन्य प्रदेशों में रहते हैं, जमीनों की खरीद बिक्री के लिए उन्हें भी उत्तराखंड आना पड़ता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में ये निर्णय लिया है कि अब उत्तराखंड के तमाम स्थानों पर अगर कोई जमीन खरीदना या बेचना चाहता है तो जरूरी नहीं की उस व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद रहना पड़ेगा।

अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन ने बताया कि वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से भी लिंक किया गया है। इससे सत्यापन में आसानी होगी, साथ में फर्जीवाड़े पर भी रोक लगेगी। ऑनलाइन और वर्चुअल रजिस्ट्री से जमीनों की धोखाधड़ी पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने में सहायता मिलेगी। हाल ही में देहरादून में जमीन रजिस्ट्री में बड़े पैमाने पर धांधली की खबरें आई थी।

अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन ने बताया कि केंद्र सरकार ने पांच मामलों में आधार प्रमाणीकरण के ऐच्छिक प्रयोग की अनुमति दी है। इसमें विलेखों का पंजीकरण, विवाह पंजीकरण, विवाह प्रमाणपत्र एवं लेखपत्रों की प्रमाणित प्रति जारी करने, भार मुक्त प्रमाणपत्र और पंजीकृत लेखपत्रों के ई-सर्च सम्मिलित हैं।

 

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