गजब हाल हैं सिस्टम के, सरकार के बनाए कोविड अस्पताल को कैंट बोर्ड ने प्राइवेट फर्म को किराए पर बेचा

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DEHRADUN : उत्तराखंड में सिस्टम का गजब का खेल चल रहा है। सिस्टम का खेल न तो मंत्रियों को पता चल पा रहा न विधायकों को। और खामियाजा भुगत रही है तो बस जनता। देहरादून के छावनी क्षेत्र में कोविड काल में 100 बेड का कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था। लेकिन कोविड का डर खत्म होते ही कैंट बोर्ड ने प्राइवेट संस्था को इसे किराए पर दे दिया।

मामला देहरादून कैंट क्षेत्र का है। कोविड काल के दौरान सरकार ने लोगों के सहयोग से कैंट क्षेत्र में 100 बेड का अस्पताल तैयार किया था। इसमें आईसीयू वार्ड और अन्य जरूरी मशीनें भी लगाई गई थी। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति डाकरा, टपकेश्वर मंदिर समिति, सामाजिक संस्थाओं और आम जनता ने इसमें सहयोग किया था। लेकिन जैसे ही कोविड का डर खत्म हुआ कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने अस्पताल को ही किराए पर बेच दिया। आरोप है कि कैंट बोर्ड ने प्राइवेट संस्था एस के मेमोरियल अस्पताल को 63 हजार रुपए मासिक किराए पर बेच दिया। स्थानीय लोगों की मानें तो अगर कैंट बोर्ड इस अस्पताल को सही तरीके से चलाता, तो लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज मिलता। लेकिन प्राइवेट हाथों में जाने के बाद लोग निजी अस्पताल में जाने से भी कतराते हैं। यही नहीं जगह की अहमियत देखते हुए कैंट बोर्ड बहुत कम किराया वसूल रहा है।

वहीं इस बारे में जब हमने कैंट बोर्ड के सीईओ अभिनव सिंह से बात की तो  उन्होंने बताया कि यह मामला उनके पद पर आने से पहले का है, इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन दस्तावेजों के अनुसार अस्पताल को पीपीपी मोड पर एसके मेमोरियल अस्पताल को सौंपा गया है। इसके एवज में कैंट बोर्ड 63 हजार रुपए मासिक किराया लेता है।

स्थानीय विधायक और मंत्री गणेश जोशी भी इस खबर से अब तक अंजान थे। आज गणेश जोशी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे तो किराए पर दिए जाने की बात पर हैरान रह गए। लेकिन सवाल यही कि क्या हमारे जनप्रतिनिधि इतना साहस जुटा पाएंगे कि जनहित में अस्पताल को सुचारू  रूप से संचालन किया जा सके, जिससे आम जनता को ज्यादा लाभ मिल सके?

 

 

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