कॉर्बेट में महिला जिप्सी चालकों से धोखा!  ट्रेनिंग के 2 साल बाद भी नहीं मिले सफारी वाहन, रोजगार के लिए भटक रही महिलाएं

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RAMNAGAR: महिलाओं के हक के लिए सरकारें कितनी संजीदा हैं, इसकी एक बानगी कॉर्बेट में सफारी चलाने के लिए ट्रेंड की गई महिलाओं के साथ हुए धोखे से जानिए। पर्यटन विभाग के बड़े बड़े दावों के तहत कॉर्बेट में टाइगर सफारी के लिए महिला जिप्सी चालकों की नियुक्ति होनी थी। इसके लिए 25 महिलाओं को ट्रेंड भी किया गया था, लेकिन हैरानी की बात है कि दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अब तक सफारी जिप्सी नहीं दी गई। सफारी ड्राइवर तो छेड़िए, उन्हें नेचर गाइड तक नहीं बनाया गया। इससे पहाड़ की महिलाएं ठगा सा महसूस कर रही हैं, उनके सामने घर चलाने की दिक्कतें पेश आ रही हैं।

दरअसल पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल में कॉर्बेट में महिलाओं को रोजगार देने के लिए जिप्सी चालक और नेचर गाइड बनाने का फैसला किया गया। इसके तहत अगस्त 2021 में 24 महिलाओं के बैच को देहरादून, झाझरा स्थित ड्राइविंग सेंटर में ट्रेनिंग दी गई। इन महिलाओं में से एक पलक ठाकुर बताती हैं कि सरकार दो साल से उनके साथ धोखा कर रही है।

ट्रेनिंग के वक्त कहा गया था कि एक महीने के भीतर सभी ट्रेंड महिलाओं को जिप्सी दी जाएगी लेकिन 2 साल से अभी तक इंतजार खत्म नहीं हुआ है। पलक कहती हैं कि अब महिलाओँ की आस टूटने लगी है। मुख्यमंत्री धामी, वन मंत्री सुबोध उनियाल और पर्यटन मंत्री से भी गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन कोई उनकी नहीं सुन रहा। पर्यटन विभाग कह रहा है कि जिप्सी कंपनी की गाड़ियां बननी बंद हो गई हैं इस वजह से नियुक्ति देने में देरी हो रही है। प्रशिक्षित महिलाओं की मांग है कि अगर जिप्सी चालक नही बनाना तो कम से कम नेचर गाइड के तौर पर ही काम दिया जाए, ताकि उनके परिवार की आजीविका चल सके। आक्रोशित जिप्सी चालक महिलाओँ का कहना है कि अगर जल्द ही सुनवाई नहीं होती तो उग्र आंदोलन को बाध्य होंगी। महिलाओं का कहना है कि अपनी आवाज पहुंचाने के लिए जल्द ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

 

 

 

 

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