आखिर पहाड़वासियों का दोष क्या है? अब पौड़ी के जयहरीखाल में गुलदार ने महिला को बनाया शिकार

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PAURI: पौड़ी जनपद में गुलदार का खौफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है।पौड़ी के गजल्ड गांव में 42 साल के राजेंद्र की मौत के सदमे से उबरे भी नहीं थे कि अब जयहरीखाल क्षेत्र में गुलदार ने आतंक मचाया है। शुक्रवार शाम को जयहरीखाल के शेरोबगड़ सैंधीखाल क्षेत्र के अमलेशा गांव में गुलदार ने एक महिला को निवाला बना लिया। मृतका की पहचान 60 वर्षीय उर्मिला देवी पत्नी राजेंद्र सिंह के रूप में हुई है।

जानकारी के अनुसार, शाम क़रीब 5.30 बजे महिला घर के आंगन में काम कर रही थी, इसी दौरान गुलदार  ने उर्मिला देवी पर हमला किया और झाड़ियों में खींच ले गया, जिससे महिला की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम तत्काल मौके पर पहुंच गई है।

घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी फैल गई। देखते ही देखते स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में मौके पर एकत्रित हो गए, और जंगल से सटे क्षेत्र में बढ़ती वन्यजीव घटनाओं पर गंभीर नाराजगी जताई। लोगों का कहना है कि पिछले कई सप्ताह से गुलदार की गतिविधियां बढ़ी हुई थीं, लेकिन वन विभाग की ओर से ठोस कदम न उठाए जाने के कारण यह दुखद हादसा हुआ। हमले की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुँची और आवश्यक कार्यवाही शुरू की।

इसके साथ ही लैंसडौन विधायक दिलीप सिंह रावत भी घटनास्थल पर पहुंचे, उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की और पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग से गुलदार को तत्काल मारने हेतु अवश्यक कार्यवाही करने के आदेश दिए। ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि गांव के आसपास सक्रिय गुलदार को तत्काल पकड़ा जाए तथा जंगल से सटे गांवों में गश्त, पिंजरे और सुरक्षा इंतज़ाम बढ़ाए जाएँ, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

आखिर पहाड़वासियों का दोष क्या है सरका‌र ?

वन मंत्री सुबोध उनियाल भले ही ये कहकर पल्ला झाड़ देते हैं कि हम कहां कहां जाएं, लोग, कचरा न फैलाएं तो गुलदार नहीं आएगा। लेकिन जंगली जानवरों का आतंक पूरे पहाड़ को साइउलेंट किलर कीतरह लील रहा है। अकेले पौड़ी जनपद में इस वर्ष 5 दिसंबर तक गुलदार के हमले में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। ये बेहद डराने वाला आंकड़ा है। अधिकतर लोग गांवों में खेती के कामकाज में व्यस्त रहते हैं। गुलदार उन मासूम लोगों को निवाला बना लेता है जो कभी खेत में काम करने जाते हैं, कभी आंगन में बैठे रहे, कभी मंदिर से घर आते रहे।

 

 

 

 

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